

बस्ती जिले के मरहा गांव निवासी एक शख्स ने ओमबीर हॉस्पिटल के डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जिससे उनके पिता पल्टूराम की मौत हो गई। मामूली फोड़े के इलाज के नाम पर रुपये लेकर ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद मरीज की हालत बिगड़ी और मौत हो गई। आरोप है कि शिकायत करने पर डॉक्टर और स्टाफ ने जान से मारने की धमकी दी। इस घटना से इलाके में आक्रोश है। सामाजिक संगठनों के साथ वीरेंद्र ने न्याय की मांग की है।
शिकायत के लिए पहुंचा पीड़ित पक्ष
Basti: बस्ती जनपद के नगर थाना क्षेत्र के मरहा गांव के निवासी वीरेंद्र प्रताप ने ओमबीर हॉस्पिटल के डॉ. नवीन चौधरी पर गंभीर लापरवाही और मनमाने इलाज का आरोप लगाया है, जिसके चलते उनके पिता पल्टूराम की दर्दनाक मौत हो गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला बस्ती जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है, जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। वीरेंद्र ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
फोड़े के इलाज के लिए गए थे अस्पताल
वीरेंद्र प्रताप ने कोतवाली में दी गई तहरीर में बताया कि उनके पिता पल्टूराम फोड़े के इलाज के लिए कैली रोड स्थित ओमबीर हॉस्पिटल गए थे। डॉ. नवीन चौधरी ने दावा किया कि वे दूरबीन विधि से ऑपरेशन करेंगे, जिसका खर्च करीब 30 हजार रुपये बताया गया। मगर ऑपरेशन के दौरान पल्टूराम की हालत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें तुरंत गोरखपुर के राना हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया, जहां 17 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई। वीरेंद्र का आरोप है कि डॉ. चौधरी और हॉस्पिटल स्टाफ की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ।
शिकायत करने पर मिली धमकी
वीरेंद्र ने बताया कि जब उन्होंने अस्पताल में इसकी शिकायत की, तो डॉ. अर्चना चौधरी और अन्य स्टाफ ने उन्हें धमकाया और कहा, "जो हुआ उसे भूल जाओ। अगर किसी अधिकारी के पास गए, तो पूरे परिवार को जान से मरवा देंगे।" इस धमकी से वीरेंद्र और उनका परिवार डर के साये में जी रहा है। इस घटना ने न केवल ओमबीर हॉस्पिटल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि बस्ती के निजी अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और इलाज की गुणवत्ता को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।
पीड़ित ने थाने में दी तहरीर
शनिवार को वीरेंद्र ने कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के समर्थन से कोतवाली में तहरीर दी। इस दौरान आर.के. आरटियन, राम सुमेर यादव, हृदय गौतम, बुद्धेश राना, दयानिधि आनंद और दिनेश कुमार जैसे लोग मौजूद रहे। उन्होंने प्रशासन से मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषी डॉक्टरों व स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि अगर न्याय नहीं मिला, तो वे लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।