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बस्ती पुलिस ने अंतर्राष्ट्रीय साइबर फ्राड का भंड़ाफोड़ किया है। पुलिस ने जालसाजों की 4 करोड़ से अधिक की ठगी का खुलाशा किया है। गिरोह प्रधानमंत्री के नाम पर चल रही सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के बहाने झांसा देता था। गिरोह ने फर्जी 38 बैंक खाते खोले थे। देशभर में इस गिरोह के खिलाफ साइबर अपराध के कई मुकदमें दर्ज हुए हैं।
बस्ती में साइबर ठगी का भंडाफोड़
Basti: यूपी के बस्ती में पुलिस ने रविवार को विदेशी साइबर फ्रॉड से जुड़ी बड़ी साजिश का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी सरकारी योजनाओं और मुफ्त बैंक खाता खोलने का लालच देकर ठगी करते थे।
डीआईजी संजीव त्यागी और एसपी ने पुलिस लाइन सभागार में प्रेसवार्ता कर बताया कि क्रिप्टो करेंसी के जरिए चल रहे इस साइबर फ्रॉड मामले में उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में फैले बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है। अब तक 4 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी सामने आ चुकी है, जबकि देशभर में इस गिरोह के खिलाफ 74 साइबर क्राइम मुकदमे दर्ज हुए थे।
संजीव त्यागी ने बताया कि इंटरस्टेट स्तर पर बैठा एक मास्टरमाइंड पूरे गैंग को संचालित कर रहा है जो जिले के थाना सोहना क्षेत्र में बैठ कर बिहार राज्य से पैसे निकालने का काम के रहा है। पुलिस ने अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्त प्रशांत मिश्रा पूरे गैंग का सरगना बताया जा रहा है।
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आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह महिला के नाम से जारी ड्यूल सिम का उपयोग करते थे और फर्जी खातों के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करते थ। गिरफ्तार अभियुक्तों ने विदेशी प्लेटफॉर्म के जरिए लेनदेन करने की बात भी कबूल की है। पुलिस जांच में 38 बैंक खाते सामने आए हैं, जिनका इस्तेमाल ठगी के धन को घुमाने में किया जाता था।
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चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह को बैंक कर्मी हरिओम दुबे सहयोग दे रहा था। वह ग्राहकों के KYC फॉर्म में पहले से एक्टिवेटेड मोबाइल नंबर दर्ज करके ड्यूल खातों में इस्तेमाल करता था,उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। ठग ट्रेडिंग में निवेश पर भारी कमीशन का लालच देते थे और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा भी देकर लोगों को जाल में फंसाते थे।
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि ठगी का सारा लेनदेन एक फॉर्नर (विदेशी नागरिक) के जरिए होता था, जिसमें मुख्य माध्यम क्रिप्टो करेंसी थी।