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काशी में देश का पहला अर्बन रोपवे बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ रहे हैं। ऑस्ट्रिया की विशेषज्ञ टीम पहले सेक्शन में गोंडोला, मोटर और सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण कर रही है। प्रोजेक्ट के पूरे होते ही हर दो मिनट में यात्री कैंट से गोदौलिया तक 16 मिनट में यात्रा कर सकेंगे।
काशी में देश का पहला अर्बन रोपवे
वाराणसी: काशी अब देश के पहले अर्बन रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम से लैस होने जा रही है। वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट के पहले चरण के पहले सेक्शन का संचालन शुरू होने से पहले ऑस्ट्रिया की प्रसिद्ध लाइटनर कंपनी के इंजीनियरों द्वारा रोपवे का कमीशनिंग परीक्षण किया जा रहा है।
यह परीक्षण 14 जुलाई से शुरू हुआ है और करीब एक महीने तक चलेगा। इसमें कुल 90 गोंडोलों का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण का मुख्य उद्देश्य रोपवे संचालन की सुरक्षा, स्थायित्व और तकनीकी सुगमता सुनिश्चित करना है। इसमें गोंडोला, मोटर, केबल, कंट्रोल सिस्टम, ब्रेकिंग सिस्टम, सेफ्टी फीचर्स और स्पीड जैसे अहम बिंदुओं की गहन जांच की जा रही है।
नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड के अधिकारियों के अनुसार, एक बार में तीन-तीन गोंडोला चलाकर परीक्षण किया जा रहा है। कमीशनिंग प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञ यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी तकनीकी खामी को पहले ही पहचानकर दूर कर लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई जोखिम न रहे।
रोपवे का सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण
पहले सेक्शन में तीन प्रमुख स्टेशन शामिल हैं- कैंट रोपवे स्टेशन, विद्यापीठ स्टेशन और रथयात्रा स्टेशन। वर्तमान में कैंट से रथयात्रा के बीच परीक्षण कार्य किया जा रहा है। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह चरण रोपवे संचालन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। योजना है कि यह सेक्शन सितंबर तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
दूसरे सेक्शन का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है, जो रथयात्रा से गोदौलिया तक रहेगा। परियोजना के पूर्ण होने के बाद कैंट से गोदौलिया तक हर डेढ़ से दो मिनट के अंतराल पर गोंडोला सेवा उपलब्ध रहेगी। अनुमान के अनुसार, एक दिशा में प्रति घंटे 3000 लोग और दोनों दिशाओं में कुल 6000 लोग यात्रा कर सकेंगे।
रोपवे के माध्यम से कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया पहुंचने में अब केवल 16 मिनट का समय लगेगा। इस सिस्टम में कुल 148 ट्रॉली कारें होंगी, जिनमें से प्रत्येक में 10 यात्री सफर कर सकेंगे। रोपवे का संचालन प्रतिदिन 16 घंटे किया जाएगा।
रोपवे परियोजना पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। यह प्रदूषण रहित परिवहन साधन है, जिससे काशी आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक तीव्र, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव कर सकेंगे। शहर की घनी गलियों और ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात पाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।