

उत्तर प्रदेश की राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारु चौधरी
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म उल्लू पर आने वाले एजाज खान के एक शो हाउस अरेस्ट में दिखाए जाने वाले अश्लील कंटेंट को लेकर मीडिया से मुताखिब हुई। महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारु चौधरी ने कहा विभिन्न टीवी चैनल्स एवं डिजिटल ओटीटी प्लेटफार्म द्वारा रियालिटी शो की आड़ में अश्लीलता परोसकर दूषित किया जा रहा है इसे लेकर एक सेंसर बोर्ड होना चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार चारु चौधरी ने कहा जल्द ही उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग भी उनको तलब कर सकती है। आज के सभ्य समाज में इस तरह के अश्लील कंटेंट माता पिता के लिए भी सही नहीं है। आज घरों में सभी साथ बैठकर सीरियल या मूवी, ओटीटी देखते हैं। ऐसे सीन या डायलॉग्स स्थिति को असहज कर देते हैं। युवा तीन एजर्स इसकी जानकारी के लिए एक गलत दिशा में जा रही है। हमारी संस्कृति ने हमें यह सब नहीं सिखाया है। हमे अपनी हद मालूम होनी चाहिए। कोई भी जबरदस्ती आपसे ऐसे सीन नहीं शूट करवा सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग जल्द ही उन लोगों को तलब कर सकता है, जो मनोरंजन के नाम पर अश्लील कंटेंट को बढ़ावा दे रहे हैं। आज के दौर में, जब परिवार एक साथ टीवी, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स या फिल्में देखते हैं, तो अश्लील दृश्य और आपत्तिजनक डायलॉग्स न केवल असहजता पैदा करते हैं, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों को भी चुनौती देते हैं।
आयोग चारु चौधरी के अनुसार, इस तरह का कंटेंट न केवल माता-पिता के लिए अनुचित है, बल्कि किशोर और युवा वर्ग को भी गलत दिशा में ले जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारी संस्कृति हमें मर्यादा और संयम सिखाती है। मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा देना स्वीकार्य नहीं है।"सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि आज के ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बिना सेंसरशिप के कंटेंट उपलब्ध है, जो परिवारों के लिए असहज स्थिति पैदा करता है। एक अभिभावक ने कहा, "हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं, लेकिन इस तरह के कंटेंट से उनकी मानसिकता पर गलत असर पड़ रहा है।"महिला आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी निर्माता या कलाकार को जबरदस्ती अश्लील दृश्यों में हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। आयोग अब ऐसे मामलों की गहन जांच करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रहा है। सवाल उठता है: क्या मनोरंजन की आड़ में हम अपनी सांस्कृतिक मर्यादाओं को भूल रहे हैं? इस पर आपकी क्या राय है?