Budaun News: ग्रामीणों में आक्रोश! अवैध खनन की शिकायत के बाद भी पुलिस ने नहीं लिया एक्शन

गांव में अवैध खनन की सूचना पर पहुंची पुलिस की कार्रवाई करने के बजाय करीब आधा दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को कब्जे में लेने के बाद थाने तक पहुंचाने की बजाय रास्ते में ही छोड़ दिया गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 3 May 2025, 3:23 PM IST
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बदायूं: वजीरगंज थाना क्षेत्र के मालिन गोटिया गांव में अवैध खनन की सूचना पर पहुंची पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने मौके से जेसीबी मशीन और करीब आधा दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को कब्जे में लिया, लेकिन थाने तक पहुंचाने की बजाय रास्ते में ही छोड़ दिया गया। इस घटना को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है और वे पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, शुक्रवार की रात को गांव में अवैध खनन की गतिविधियां चल रही थीं, जिसकी सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी। कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंची और जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को रोक कर कब्जे में ले लिया। ग्रामीणों के अनुसार, पुलिस ने कहा कि सभी वाहनों को थाने ले जाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाया आरोप

जब कुछ जागरूक ग्रामीण थाने पहुंचे तो उन्हें वहां जेसीबी मशीन नजर नहीं आई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रास्ते में ही वाहन छोड़ दिए और संभवतः खननकर्ताओं से 'सुविधा शुल्क' लेकर उन्हें छोड़ने का सौदा कर लिया। ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह पहली बार नहीं है, कई बार अवैध खनन की सूचना देने के बावजूद पुलिस ऐसी ही ढीली कार्रवाई कर मामले को दबा देती है।

पुलिस ने इस घटना की जानकारी से किया इंकार

वहीं जब इस पूरे प्रकरण पर वजीरगंज थानाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने पूरे मामले से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि "थाने पर न तो ऐसी कोई सूचना आई है और न ही कोई जेसीबी मशीन थाने लाई गई है। "पुलिस के इस कथन से ग्रामीणों में और ज्यादा नाराजगी फैल गई है। उनका कहना है कि जब मौके पर कार्रवाई हुई और सबने देखा कि पुलिस जेसीबी लेकर जा रही है, तो फिर थाने पर उसका न पहुंचना साफ इशारा करता है कि मामले को दबाया गया है।

पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न

यह मामला न केवल अवैध खनन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पुलिस की निष्पक्षता और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्न उठाता है। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल प्रशासन की चुप्पी इस प्रकरण को और संदिग्ध बना रही है।

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