

बाराबंकी में कर्मचारी-शिक्षक महासंघ की दूसरी बैठक में क्या कुछ बड़ा तय हुआ? क्या अब यह महासंघ बनेगा वैधानिक संगठन? नई जिम्मेदारियों और पदों के साथ संगठन के विस्तार की बड़ी तैयारी—अब देखना है, कब और कैसे बदलता है महासंघ का भविष्य।
शिक्षक कर्मचारी महासंघ की बैठक
Barabanki: जनपद बाराबंकी में कर्मचारी एवं शिक्षक संगठनों के एकजुट मंच "कर्मचारी-शिक्षक महासंघ" की दूसरी बैठक जिला पंचायत भवन के सभागार में संपन्न हुई। यह बैठक संगठन को संवैधानिक रूप देने और इसके विस्तार पर केंद्रित रही। बैठक में मौजूद सभी प्रमुख विभागों के पदाधिकारियों ने महासंघ को और अधिक प्रभावशाली एवं संरचित बनाने पर सहमति जताई।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि महासंघ का संविधान जल्द ही तैयार किया जाएगा और उसका आधिकारिक रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। यह कदम संगठन को न केवल वैधता देगा बल्कि इसके कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने में भी मददगार होगा। संगठन की आगामी बैठक में सभी कर्मचारी-शिक्षक संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा, खासकर वे जो अब तक महासंघ से नहीं जुड़े हैं।
महासंघ के विस्तार के क्रम में कुछ नए नामों को जिम्मेदारी सौंपी गई। शंभूनाथ पाठक को संरक्षक मंडल में शामिल किया गया। फूलचंद को संयोजक मंडल का हिस्सा बनाया गया। अमित मिश्रा और अनिल वर्मा को क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) में स्थान मिला। इन नियुक्तियों से महासंघ की प्रतिक्रिया क्षमता और संगठनात्मक मजबूती को बल मिलने की उम्मीद है।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग, विकास भवन कर्मचारी संघ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ, वन विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, सिविल कोर्ट, ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन, सहायक विकास अधिकारी सेवा संघ, शिक्षणेत्तर कर्मचारी सेवा संगठन, पशुधन प्रसार अधिकारी संघ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संघ, पंचायती राज विभाग और जिला कोऑपरेटिव बैंक सहित अनेक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
बैठक में महासंघ की स्थायित्व और वैधानिक पहचान को लेकर सहमति बनी। साथ ही यह भी तय किया गया कि महासंघ का दायरा जिला स्तर से आगे बढ़ाकर प्रदेश स्तर तक ले जाने की दिशा में भी विचार किया जाएगा। इसके लिए एक कोर कमेटी का गठन किया जाएगा जो विधिक प्रक्रिया, संपर्क और प्रचार-प्रसार का कार्य संभालेगी।
यह बैठक बाराबंकी में कर्मचारी-शिक्षक एकता का प्रतीक बनी। विभिन्न विभागों के संगठनों का एक मंच पर आना न केवल संगठन की सामूहिक शक्ति को दर्शाता है, बल्कि वेतन, पदोन्नति, सेवा शर्तों और सम्मान जैसे मुद्दों पर सामूहिक संघर्ष की रणनीति को भी सशक्त बनाता है।