Bhadohi News: पांच साल से बंद पड़ा सामुदायिक शौचालय, मचा हड़कंप

सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता मिशन के तहत बनाए जा रहे सामुदायिक शौचालय अगर लापरवाही के कारण बंद पड़े रहें, तो उनका उद्देश्य ही विफल हो जाता है पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज पर

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 23 June 2025, 2:20 PM IST
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भदोही:  सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता मिशन के तहत बनाए जा रहे सामुदायिक शौचालय अगर लापरवाही के कारण बंद पड़े रहें, तो उनका उद्देश्य ही विफल हो जाता है। ऐसा ही एक दुखद उदाहरण भदोही जनपद के ग्राम सभा भभौरी, मौजा बसगोती मवैया में देखने को मिल रहा है। यहां करीब पांच वर्ष पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आंगनवाड़ी केंद्र के पास बनाए गए सामुदायिक शौचालय का उद्घाटन तो हुआ, मगर उसके बाद से आज तक इसके दरवाजे नहीं खुले।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, शौचालय में ताले लगे हैं और कभी भी इसका नियमित संचालन शुरू नहीं हो सका। स्थिति यह है कि आसपास के ग्रामीण, विशेषकर दिव्यांगजन और महिलाएं खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। बरसात के मौसम में कीचड़, गंदगी और फिसलन के कारण दिव्यांगों को शौच के लिए निकलना अत्यंत कठिन हो जाता है।

इतना ही नहीं, शौचालय के सामने अब पशुओं को बांधने का स्थान बना दिया गया है। चारा, नाद और पानी की पूरी व्यवस्था के चलते यह स्वच्छता भवन अब पशुओं के ठहराव का केंद्र बनकर रह गया है। गांव के लोगों का कहना है कि जब निर्माण हुआ था, तब उम्मीद जगी थी कि महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को राहत मिलेगी, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता ने इस सुविधा को जमीनी हकीकत बनने ही नहीं दिया।

ग्रामीण बताते हैं कि न तो पांच साल में कभी सफाई हुई और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने यहां की स्थिति का जायजा लिया। करोड़ों रुपये खर्च कर सरकार द्वारा बनाई जा रही स्वच्छता योजनाओं का इस तरह उपयोग न होना कहीं न कहीं सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

गांव की महिलाओं ने प्रशासन से मांग की

दिव्यांगों के परिजनों और गांव की महिलाओं ने प्रशासन से मांग की है कि इस शौचालय को तत्काल खोलकर नियमित संचालन शुरू कराया जाए, ताकि ग्रामवासियों को स्वच्छता और सुरक्षा दोनों मिल सके। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कदम नहीं उठाए, तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।सरकार की योजनाएं तभी सार्थक होंगी जब उनके संचालन और देखरेख की जिम्मेदारी भी ईमानदारी से निभाई जाए। अन्यथा ऐसे निर्माण केवल कागजों पर ही उपलब्धियां बनकर रह जाएंगे।

 

 

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