

भदोही के सीतामढ़ी घाट पर गंगा के उफान के बीच नाव से खुलेआम बालू खनन किया जा रहा है। प्रशासन की आंखों के सामने चल रहा यह खेल न केवल अवैध है, बल्कि कई जिंदगियों को दांव पर लगा रहा है।
गंगा में तेज बहाव, फिर भी जारी है बालू का धंधा
Bhadohi: मानसून के दस्तक देने के साथ ही उत्तर भारत की नदियों में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। भदोही जनपद के सीतामढ़ी क्षेत्र में गंगा नदी इन दिनों पूरी तरह उफान पर है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और सहायक नदियों से छोड़े जा रहे पानी के कारण गंगा का बहाव तेज हो गया है। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखा जाए, लेकिन हकीकत इससे उलट और खतरनाक है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीतामढ़ी के महर्षि वाल्मीकि गंगा घाट पर नाव के जरिए खुलेआम बालू खनन किया जा रहा है, वो भी गंगा की उफनती लहरों के बीच। यह न केवल गैरकानूनी है बल्कि जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ भी है।
तेज बहाव वाली गंगा में नाविक बालू से भरी नावों को घाट तक पहुंचा रहे हैं। इन नावों में कोई सुरक्षा उपकरण नहीं, न कोई लाइफ जैकेट, और न ही कोई राहत व्यवस्था। एक मामूली सी गलती या संतुलन बिगड़ने पर नाव पलट सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ सीतामढ़ी पुलिस चौकी से महज़ 500 मीटर की दूरी पर हो रहा है, लेकिन न तो कोई रोक है, न टोक। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है या फिर खनन माफियाओं से मिलीभगत का मामला है?
घाट के आसपास रहने वाले लोगों में इस गैरजिम्मेदाराना रवैये को लेकर गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी से कभी भी कोई बड़ी जानलेवा घटना हो सकती है। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस सब कुछ जानती है, लेकिन 'हफ्ता वसूली' के चलते चुप बैठी है।
यह बालू खनन सिर्फ मानव जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि गंगा नदी की प्राकृतिक संरचना और पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा है। नदी की धाराओं से लगातार बालू खींचना कटान, भू-स्खलन और जैव विविधता को प्रभावित करता है।
स्थानीय जनता ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है। लोगों की मांग है कि घाट पर हो रहे इस अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए और जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए। यदि प्रशासन अब भी नहीं चेता, तो आने वाले दिनों में सीतामढ़ी घाट पर कोई भी त्रासदी टाली नहीं जा सकती।