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बरेली एंटी करप्शन टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बहेड़ी मंडी समिति के मार्केटिंग इंस्पेक्टर मनीष कुमार दुबे को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। किसान से अवैध वसूली के लिए इंस्पेक्टर ने निजी बाउंसर तक रखा था। कार्रवाई के बाद मंडी कर्मचारियों में हड़कंप है।
दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में
Bareilly: बरेली में एंटी करप्शन टीम ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए कृषि उत्पादन मंडी समिति, बहेड़ी के मार्केटिंग इंस्पेक्टर मनीष कुमार दुबे को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई मंडी परिसर में उस समय की गई, जब इंस्पेक्टर किसान से 10 हजार रुपये की मांग पूरी कराने में लगा हुआ था।
टीम ने मौके पर ही इंस्पेक्टर के साथ उसके निजी बाउंसर अतुल गंगवार को भी हिरासत में लिया, जो किसानों को धमकाने और अवैध वसूली करवाने का काम करता था।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, शिकायतकर्ता एक किसान है जो सरकारी धान खरीद केंद्र पर धान तौल कराने और भुगतान प्राप्त करने आया था। किसान का आरोप है कि इंस्पेक्टर मनीष दुबे उससे 10 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था। किसान ने रिश्वत देने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद इंस्पेक्टर ने अपने साथ रखे निजी बाउंसर अतुल गंगवार को सक्रिय कर दिया। बाउंसर किसान पर दबाव बनाने और धमकाने लगा, जिससे परेशान होकर किसान ने एंटी करप्शन विभाग से शिकायत की।
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आरोपी को कैसे दबोचा?
शिकायत का संज्ञान लेते ही एंटी करप्शन टीम ने तुरंत जाल बिछाया। योजना के अनुसार, किसान को 10 हजार रुपये की राशि के नोटों पर केमिकल लगवाकर भेजा गया। जैसे ही आरोपी इंस्पेक्टर ने पैसे को हाथ लगाया, टीम वहां मौजूद हो गई और उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए दोनों आरोपियों के हाथों पर केमिकल के निशान भी मिले, जिससे रिश्वत लेने की पुष्टि हो गई।
लंबे समय से मिल रही थी शिकायत
एंटी करप्शन टीम के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी मनीष दुबे लंबे समय से इसी प्रकार किसानों से अवैध वसूली कर रहा था। शिकायतें पहले भी मिलती रही थीं, लेकिन इस बार किसान द्वारा पुख्ता सबूत और समय पर सूचना देने से टीम कार्रवाई कर सकी।
अधिकारियों ने बताया कि इंस्पेक्टर ने सुरक्षा और दबाव बनाने के लिए निजी बाउंसर रखा था और इसका इस्तेमाल वह किसानों को डराने के लिए करता था। यह तरीका न केवल अनैतिक था बल्कि सरकारी पद का दुरुपयोग भी था।
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दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
कार्रवाई के बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। टीम का कहना है कि जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि इस वसूली चक्र में और कौन-कौन जुड़ा हुआ है, क्योंकि लंबे समय तक इस तरह की अवैध गतिविधि बिना सहयोग के संभव नहीं होती।