

बाराबंकी के फतेहपुर में उपमंडी स्थल के लिए अधिग्रहीत 3.193 हेक्टेयर जमीन की वापसी की मांग को लेकर किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। किसानों का कहना है कि जमीन बिना सहमति ली गई थी। अब मंडी स्थानांतरित हो चुकी है, इसलिए भूमि उन्हें लौटाई जाए।
स्थल का निरीक्षण करते एसडीएम
Barabanki: बाराबंकी जनपद के फतेहपुर उपमंडी स्थल से हटाई गई लगभग 3.193 हेक्टेयर भूमि को लेकर किसानों का गुस्सा फिर से उभर आया है। क्षेत्र के कई किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक शिकायती पत्र भेजकर उक्त भूमि को मूल मालिकों के नाम दर्ज करने की मांग की है।
इस मामले को लेकर प्रशासन ने संज्ञान लिया है। एसडीएम और तहसीलदार वैशाली अहलावत ने रामनगर रोड स्थित विवादित भूमि का मौके पर मुआयना किया। इस दौरान उन्होंने हल्का लेखपाल को नवैय्यत की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन की इस सक्रियता के बाद किसानों को न्याय की उम्मीद जागी है।
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किसानों का आरोप है कि वर्ष 2004 में उनकी सहमति के बिना ही इस जमीन को उपमंडी स्थल के लिए अधिग्रहीत कर लिया गया था। तब से लेकर अब तक भारतीय किसान यूनियन और अन्य स्थानीय संगठनों ने इसका विरोध किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
अब जबकि उपमंडी स्थल का नया स्थान कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के पास प्रस्तावित कर दिया गया है, किसानों का कहना है कि पुरानी भूमि का उपयोग अब मंडी के लिए नहीं होगा, तो उसे मूल किसानों को वापस कर दिया जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर किसानों ने प्रशासन से भू-अधिकार बहाली की मांग की है।
इस भूमि पर सिविल न्यायालय बनाए जाने का प्रस्ताव भी सामने आया है, जिसे वरिष्ठ अधिवक्ता श्रवण कुमार वर्मा ने प्रशासन के समक्ष रखा है। हालांकि, किसानों का कहना है कि उन्हें बिना सहमति भूमि से वंचित किया गया और अब वे उस पर दोबारा हक चाहते हैं।
रामशंकर वर्मा, प्रेमचन्द्र राजपूत, विश्वनाथ गुप्ता, बालकराम, उदय वर्मा और नीरज शर्मा सहित कई किसानों ने कहा कि उनकी जमीन पर उनका हक बहाल किया जाए, ताकि वे अपने खेतों का उपयोग कर सकें।किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं। फतेहपुर की यह भूमि अब प्रशासन, किसान और स्थानीय संगठनों के बीच सामाजिक व कानूनी संघर्ष का केंद्र बनती जा रही है। देखना होगा कि प्रशासन किसानों की मांगों को कितनी संवेदनशीलता से लेता है और क्या समाधान निकालता है।