राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने पर बोले PM मोदी- हर राम भक्त के दिल में..

विवाह पंचमी पर अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर पीएम मोदी ने धर्म ध्वज फहराया। वैदिक मंत्रों के बीच हुए ध्वजारोहण में प्रधानमंत्री ने कहा ‘सदियों की वेदना आज समाप्त हो रही है’। पढ़ें पूरा भाषण और कार्यक्रम का महत्व।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 25 November 2025, 1:59 PM IST
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Ayodhya: अयोध्या में आज का दिन भारतीय संस्कृति और आस्था के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गया। विवाह पंचमी के पावन दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज का विधिवत आरोहण किया। वैदिक मंत्रों के उच्चारण, अभिजीत मुहूर्त और भव्य धार्मिक अनुष्ठानों के बीच पूरे रामनगरी का वातावरण दिव्यता और उत्सव में डूब गया।

ध्वजारोहण से पहले पीएम मोदी ने रामलला के समक्ष हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहा कि 500 वर्षों की संघर्ष यात्रा आज पूर्णाहुति तक पहुंची है।

‘धर्म ध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक’- पीएम मोदी

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना के उत्कर्ष का साक्षी बन रही है। यह धर्म ध्वज केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। सदियों का संघर्ष, साधना और समाज की सहभागिता आज फलित हुई है।” उन्होंने कहा कि भगवा रंग, सूर्यवंश की ख्याति और ‘ॐ’ का चिह्न राम राज्य के मूल्यों सत्य, धर्म, करुणा और कर्तव्य का प्रतीक है।

‘सदियों की वेदना को आज विराम मिल रहा है’

प्रधानमंत्री ने भावुक होकर कहा, “500 वर्ष तक आस्था की अग्नि प्रज्जवलित रही। कभी विश्वास नहीं टूटा, कभी आराधना नहीं थमी। आज सदियों की वेदना को विराम मिला है।” उन्होंने कहा कि यह ध्वज केवल मंदिर पर नहीं, बल्कि करोड़ों राम भक्तों की आस्था और सभ्यता की नई ऊर्जा का प्रतीक है।

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राम राज्य के आदर्श

पीएम मोदी ने आगे कहा कि राम राज्य का मूल भाव हर वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा, “राम भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए कुल नहीं, भक्ति महत्वपूर्ण है। हम इसी भावना से महिला, युवा, दलित, वंचित—हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखकर आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने मंदिर परिसर में स्थापित सप्तस्थली का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और समन्वय का प्रतीक है।

मानसिक गुलामी से मुक्ति की अपील

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मैकाले की शिक्षा पद्धति का जिक्र करते हुए कहा कि मानसिक गुलामी से मुक्त होना आने वाले भारत के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, “1835 में मैकाले ने मानसिक गुलामी के बीज बोए थे। हमें आने वाले 10 वर्षों में इस मानसिकता को समाप्त करना है। जब हम अपनी विरासत पर गर्व करेंगे, तभी 2047 का विकसित भारत संभव होगा।”

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2035 और 2047 का लक्ष्य

पीएम मोदी ने कहा कि भारत को अगले 1000 वर्षों की मजबूत नींव रखनी है “2047 तक विकसित भारत का सपना हम सबके प्रयासों से ही पूरा होगा। हमें वह रथ बनाना है जिसके पहिए शौर्य और धैर्य हों और जिसकी लगाम करुणा और समभाव से संचालित हो।”

Location : 
  • Ayodhya

Published : 
  • 25 November 2025, 1:59 PM IST