

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर चार्जशीट तक को बढ़ा दिया है। वहीं, उनके खिलाफ दर्ज एक FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
फैक्ट चेकिंग साइट Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (फाइल फोटो)
प्रयागराज: फैक्ट चेकिंग साइट Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहत और झटका दोनों एक साथ दिया है। यति नरसिंहानंद के 'आपत्तिजनक' भाषण पर जुबैर के 'X' पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ दर्ज एक FIR को जहां रद्द करने से इनकार कर दिया है। वहीं, कोर्ट ने जांच के दौरान उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक को बढ़ा भी दिया है। अब इस केस में चार्जशीट तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने जुबैर द्वारा दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी है। कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को मामले की जांच पूरी होने तक देश छोड़ने से भी रोक दिया है। कोर्ट ने अपने 37 पेज के फैसले में कहा- भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई धर्म, जनजातियाँ और नस्लें हैं। वे सभी एक साथ मिलकर शांति से रह रहे हैं। क्या याचिकाकर्ता संयम बरत रहा था, यह एक ऐसी बात है जिसकी जांच, जांच एजेंसियों को करनी होगी। इसका मतलब है कि कोर्ट यह देखना चाहती है कि मोहम्मद जुबैर ने अपने पोस्ट में सावधानी बरती थी या नहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
2024 में दर्ज हुआ था मुकदमा
बता दें कि मोहम्मद जुबैर पर गाजियाबाद पुलिस ने अक्टूबर 2024 में एक FIR दर्ज की थी। यति नरसिंहानंद के सहयोगी पुजारी उदिता गोस्वामी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप जुबैर पर इस एफआईआर में है। जुबैर ने FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बाद में, इस FIR में भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 जोड़ी गई, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली धारा है।
नरसिंहानंद पर कार्रवाई को पोस्ट
फैक्ट चेकर जुबैर की याचिका के मुताबिक, उन्होंने यति नरसिंहानंद के विवादित भाषणों की वीडियो की एक सीरीज X पर पोस्ट की थी। बाद में, विवादास्पद भाषणों के साथ अन्य ट्वीट भी साझा किए। उनका मकसद नरसिंहानंद के 'भड़काऊ' बयानों को उजागर करना और पुलिस अधिकारियों से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करना था।
FIR के बचाव में आई योगी सरकार
हाईकोर्ट में जुबैर की याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी की योगी सरकार ने FIR का बचाव किया। सरकार ने तर्क दिया कि जुबैर ने अपने X पोस्ट के माध्यम से एक कहानी बनाई और जनता को भड़काने की कोशिश की। उनके 'X' पोस्ट के समय पर भी सवाल खड़ा किया गया। सरकार की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि उनके X पोस्ट में अधूरी जानकारी थी और उन्होंने भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाया और धमकी दी।
अपराध की क्षेेणी से बाहर ऐसे पोस्ट
हालांकि, जुबैर की ओर से दावा किया कि उनके पोस्ट एक फैक्ट-चेकर के रूप में उनके पेशेवर दायित्व का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि ऐसे पोस्ट BNS या भारतीय दंड संहिता के तहत कोई अपराध नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह नरसिंहानंद के आचरण को उजागर करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न केवल उन्होंने, बल्कि कई समाचार लेखों और सोशल मीडिया अकाउंट ने भी इसी मुद्दे के बारे में अलग-अलग पोस्ट किया था। लेकिन उन पर कोई मुकदमा और जांच नहीं की गई।