

लेखपाल ने उससे दाखिल खारिज कराने के बदले पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी। उसके बाद पीड़ित व्यक्ति एंटी करप्शन टीम के पास पहुंचा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट
Symbolic Photo (Google Image)
गाजियाबाद: मोदीनगर तहसील में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एंटी करप्शन मेरठ यूनिट की टीम ने एक लेखपाल को उसके साथी के साथ मिलकर एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। यह कार्रवाई तहसील कार्यालय परिसर में की गई। जहां टीम ने पहले से ट्रैप रचकर आरोपी लेखपाल और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया। दोनों पर रिश्वतखोरी और सरकारी कार्य में भ्रष्टाचार फैलाने के गंभीर आरोप हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, भोजपुर थाना क्षेत्र के गांव त्योड़ी-13 बिस्वा निवासी परवेज ने फरवरी 2024 में गांव के ही निवासी शाहबेद्दुन से चार बीघा जमीन 28 लाख रुपये में खरीदी थी। जमीन की दाखिल-खारिज प्रक्रिया के लिए जब परवेज ने आवेदन किया तो मामले में रिपोर्ट लगाने की जिम्मेदारी लेखपाल सरित कुमार की थी। सरित कुमार ने परवेज को जमीन को एससी-एसटी श्रेणी में दर्ज बताते हुए डराया और कहा कि इस स्थिति में किसी अन्य जाति के नाम पर दाखिल-खारिज नहीं की जा सकती।
परवेज ने बताया कि लेखपाल ने उससे दाखिल खारिज कराने के बदले पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी। जब परवेज ने रिश्वत देने से इनकार किया तो उसे दाखिल-खारिज रद्द करने की धमकी दी गई। निराश होकर परवेज ने एंटी करप्शन टीम से संपर्क किया और पूरे मामले की शिकायत की।
योजना के तहत पकड़े गए आरोपी
एंटी करप्शन टीम ने शिकायत मिलने के बाद योजना बनाकर गुरुवार को ट्रैप लगाया। परवेज को एक लाख रुपये की रकम के साथ लेखपाल के पास भेजा गया। टीम ने इन रुपयों पर विशेष रसायन लगाया था, जिससे उन्हें पकड़ना आसान हो सके। जैसे ही लेखपाल सरित कुमार और उसका साथी कपिल पैसे लेते हुए कैमरे में कैद हुए टीम ने उन्हें रंगे हाथ दबोच लिया।
कार्रवाई के दौरान मौके पर पूरी विडियोग्राफी की गई। इसके आधार पर एंटी करप्शन निरीक्षक दुर्गेश कुमार की ओर से भोजपुर थाने में सरित कुमार और कपिल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया गया। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बरामद एक लाख रुपये को सील कर दिया गया है।
अधिकारियों पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने तहसील प्रशासन और अन्य आला अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। परवेज ने पहले ही लेखपाल की रिश्वत मांगने की शिकायत तहसील के अधिकारियों और संपूर्ण समाधान दिवस के माध्यम से की थी, लेकिन किसी ने उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। यह लापरवाही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा माना जा रहा है।