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रायबरेली में बरसात के बाद सड़कों के निर्माण का काम तेजी से शुरू हुआ है, लेकिन साथ ही निर्माण में धांधली और घटिया गुणवत्ता की शिकायतें भी लगातार सामने आने लगी हैं। ताज़ा मामला लालगंज ब्लॉक के बेहटा कला गांव का है। पढ़े्ं पूरी रिपोर्ट
रायबरेली में नई नवेली सड़क 24 घंटे भी नहीं टिकी
Raebareli: रायबरेली में बरसात के बाद सड़कों के निर्माण का काम तेजी से शुरू हुआ है, लेकिन साथ ही निर्माण में धांधली और घटिया गुणवत्ता की शिकायतें भी लगातार सामने आने लगी हैं। ताज़ा मामला लालगंज ब्लॉक के बेहटा कला गांव का है, जहां 11 लाख रुपये की लागत से बनाई गई सड़क कुछ ही घंटों में उखड़ने लगी। ग्रामीणों ने इस पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए इसे भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण बताया।
ग्रामीणों के मुताबिक सड़क का निर्माण जिला पंचायत की देखरेख में कराया गया था। सड़क बनने के महज 24 घंटे के भीतर ही इसकी परतें उखड़ने लगीं, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। ग्रामीणों ने कहा कि जिस सड़क के लिए वर्षों से मांग चल रही थी, वह केवल कुछ घंटों में ही खराब होकर प्रशासन और ठेकेदारी सिस्टम की पोल खोल रही है।
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ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 10 वर्षों से यह सड़क जर्जर अवस्था में थी। कई बार जिलाधिकारी और जिला पंचायत को पत्र लिखकर वे निर्माण की मांग कर चुके थे, जिसके बाद 11 लाख रुपये की लागत से यह सड़क स्वीकृत की गई।
लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के दौरान न तो कॉम्पैक्टिंग की गई, न सड़क के किनारे समतलीकरण, और न ही गुणवत्ता की जांच। बीती शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक मात्र 3 घंटे में करीब 900 मीटर सड़क बना दी गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि डामर और गिट्टी को सिर्फ डालकर रोलिंग किए बिना ही सड़क को पूरा बताया गया।
सड़क निर्माण की वास्तविकता सामने आने के बाद ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और संबंधित अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की। पूर्व शिक्षक रामेंद्र बहादुर सिंह ने जिलाधिकारी रायबरेली को लिखित शिकायत भेजी है और निर्माण में की गई धांधली की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों ने कहा कि विकास कार्यों में इस तरह की लापरवाही से सरकारी धन की भारी बर्बादी हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि गुणवत्ता की जांच और पुनर्निर्माण जल्द नहीं होता, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
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घटना ने जिला पंचायत की निगरानी व्यवस्था और ठेकेदारों के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों के अनुसार, लाखों रुपये की लागत के बावजूद केवल घंटों में सड़क का खराब होना प्रशासनिक ढिलाई और भ्रष्टाचार का नतीजा है। ग्रामीणों की शिकायत पर प्रशासनिक जांच की मांग जोर पकड़ रही है और अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।