

नोएडा के सेक्टर-30 में रहने वाले 92 वर्षीय रिटायर्ड प्रोफेसर के साथ साइबर अपराधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर 1.02 करोड़ की ठगी की। एक सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करवाई गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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Noida: नोएडा के सेक्टर-30 में रहने वाले 92 वर्षीय रिटायर्ड प्रोफेसर कंवर बुद्धिश्वर सिंह साइबर अपराधियों के शातिर जाल में फंसकर 1.02 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार हो गए। खुद को टेलीकॉम विभाग, सीबीआई, पुलिस अधिकारी और न्यायाधीश बताने वाले इन साइबर ठगों ने प्रोफेसर को "डिजिटल अरेस्ट" में रखकर उनसे बैंक डिटेल्स ली और डर का माहौल बनाकर बड़ी रकम ट्रांसफर करवा ली। पुलिस ने आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे शुरू हुआ ठगी का खेल?
घटना की शुरुआत 26 अगस्त को हुई, जब प्रोफेसर सिंह के मोबाइल पर एक अंजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताकर उनके नाम, पते और मोबाइल नंबर की पुष्टि की। इसके बाद वॉट्सऐप और वीडियो कॉल्स की झड़ी लग गई। जिसमें पुलिस की वर्दी पहने लोग दिखाई दिए। एक कॉल में खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर एक व्यक्ति ने दावा किया कि प्रोफेसर का नाम एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुख्य आरोपी नरेश गोयल के साथ जोड़ा गया है।
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कभी जज तो कभी सीबीआई अफसर
ठगों ने यह कहकर डराया कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और यदि जांच में सहयोग नहीं किया गया तो आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके बाद एक वीडियो कॉल में खुद को न्यायाधीश बताने वाले व्यक्ति ने कोर्ट रूम का दृश्य दिखाया और कहा कि इस केस की सुनवाई तत्काल चल रही है। एक नोटिस दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की गई कि प्रोफेसर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
कैसे-कैसे पैसे ट्रांसफर करवाए
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर भी प्रोफेसर से बात की और कहा कि यदि वह सहयोग नहीं करेंगे तो पूरा परिवार मुश्किल में पड़ सकता है। इसी डर और मानसिक दबाव में आकर प्रोफेसर ने 29 अगस्त को राजेश्वरी एंटरप्राइजेज के खाते में 52 लाख रुपये, 30 अगस्त को 30 लाख रुपये और फिर कुछ घंटे बाद 20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
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20 दिन बाद खुली आंख
कुल मिलाकर 1.02 करोड़ रुपये की ठगी की गई। ठगों ने प्रोफेसर को भरोसा दिलाया कि यह रकम जांच के बाद वापस मिल जाएगी। लेकिन जब 20 दिनों तक कोई पैसा वापस नहीं आया और नंबर भी बंद आने लगे तो उन्हें समझ आया कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस का बयान
डीसीपी साइबर प्रीति यादव ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और जिन खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है, उन्हें खंगाला जा रहा है।