38 स्कूलों का किया गया बंद, छात्रों की संख्या थी बहुत कम, पढ़ें पूरी खबर

जिले में कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है। जो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए उठाया गया है। बीएसए संदीप कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग छात्रों की भलाई के लिए लगातार काम कर रहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 3 July 2025, 6:38 PM IST
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Kannauj News: कन्नौज जिले के शिक्षा विभाग ने 38 परिषदीय स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम थी। जो कि केवल 4 से 8 के बीच थी। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों को नजदीकी स्कूलों में समायोजित कर दिया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यह कदम शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है, ताकि छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और शिक्षक भी एक स्थिर माहौल में काम कर सकें।

इन स्कूलों को किया मर्ज

बीएसए संदीप कुमार ने कहा कि यह निर्णय अभिभावकों की सहमति से लिया गया है और इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि विभाग का यह प्रयास है कि छात्रों की संख्या और शिक्षकों की संख्या संतुलित रहे, ताकि हर छात्र को पर्याप्त ध्यान मिल सके। बीएसए ने आगे यह भी कहा कि विभाग भविष्य में और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को चिन्हित कर उन्हें अन्य स्कूलों में मर्ज करने की योजना बना रहा है।

कई क्षेत्रों में स्कूलों को किया बंद

कन्नौज जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कम छात्र संख्या के कारण स्कूल बंद किए गए हैं। सबसे ज्यादा स्कूल हसेरन ब्लॉक क्षेत्र में बंद किए गए हैं, जहां 8 स्कूलों को बंद किया गया है। इसके अलावा सौरिख, उमर्दा और छिबरामऊ में 6-6 स्कूल बंद हुए हैं। जलालाबाद और सदर क्षेत्र में 4-4 स्कूल बंद किए गए हैं। तालग्राम में 3 और गुगरापुर बीआरसी क्षेत्र में 1 स्कूल को बंद किया गया है। यह बदलाव जिले के शिक्षा ढांचे को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संदीप कुमार का कहना है कि इस फैसले से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, क्योंकि छोटे स्कूलों में कम छात्र संख्या होने के कारण छात्रों को उचित शिक्षा मिलना मुश्किल हो सकता है। अब, इन स्कूलों को अन्य नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है, जहां छात्रों को बेहतर संसाधन और सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके साथ ही, शिक्षक भी एक स्थिर स्कूल में काम करने के योग्य होंगे, जिससे उनकी कार्य क्षमता में भी सुधार होगा।

अभिभावकों की सहमति से लिया गया यह निर्णय

इस फैसले के बारे में बीएसए संदीप कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सभी निर्णय अभिभावकों की सहमति से लिए गए हैं। शिक्षा विभाग ने अभिभावकों से चर्चा करने के बाद ही इन स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय स्कूलों की संख्या को अधिक नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को ही सर्वोत्तम बनाने के लिए उठाए गए कदम हैं।

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