हिंदी
गोरखपुर जोन में पिछले 5 वर्षों में आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एडीजी मुथा अशोक जैन ने 2,410 से अधिक मामलों के आंकड़े जारी करते हुए इसे गंभीर सामाजिक चुनौती बताया।
एडीजी मुथा अशोक जैन
Gorakhpur: गोरखपुर जोन में बीते 5 सालों के दौरान आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ती संख्या अब गंभीर चिंता का विषय बन गई है। सोमवार को जोन कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में एडीजी मुथा अशोक जैन ने वर्ष 2021 से 2025 तक के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि दहेज हत्या को छोड़कर आत्महत्या के मामलों में हर वर्ष वृद्धि दर्ज की गई है। इन 5 सालों में 10 जिलों में कुल 2,410 से अधिक लोगों ने अलग-अलग कारणों से अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
देवरिया सबसे अधिक प्रभावित, गोरखपुर दूसरे स्थान पर
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देवरिया जिला इस चिंताजनक सूची में सबसे ऊपर है। यहां पिछले 5 वर्षों में कुल 415 आत्महत्या दर्ज की गई हैं। गोरखपुर में कुल 262 मामले सामने आए। जबकि महाराजगंज में 281, बस्ती में 376, संतकबीरनगर में 158, सिद्धार्थनगर में 211, गोंडा में 215, बलरामपुर में 118, बहराइच में 256 और श्रावस्ती में 120 आत्महत्या दर्ज की गई हैं।
DN Exclusive: देश की राजधानी में घुट रही सांसे…प्रदूषण पर क्या कोई समाधान नहीं? कहां सोई है सरकार
परिवारिक विवाद, कर्ज और अवसाद जैसे कारण वजह
एडीजी ने बताया कि आत्महत्या के प्रमुख कारणों में पारिवारिक विवाद, आर्थिक संकट, भारी कर्ज, मानसिक तनाव, अवसाद और गंभीर बीमारी मुख्य है। उन्होंने कहा कि कई बार छोटी-छोटी समस्या भी उचित समाधान और भावनात्मक सहयोग न मिलने के कारण जानलेवा कदम तक पहुंचा देती हैं।
काउंसलिंग सेल को एक्टिव करने के निर्देश
एडीजी जैन ने सभी एसएसपी-एसपी को निर्देशित किया है कि जिले के हर थाने में आत्महत्या से संबंधित घटनाओं का गहन विश्लेषण किया जाए। आयु आधारित, पारिवारिक स्थिति आधारित और कारण आधारित डेटा तैयार कर विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी। इसके साथ ही जिलाधिकारी, सीएमओ और समाज कल्याण विभाग के साथ संयुक्त बैठकों के जरिए जोन-स्तरीय आत्महत्या रोकथाम नीति लागू की जाएगी।
प्यार का दुश्मन बना परिवार: देर तक घर नहीं लौटा युवक, देर रात मिला खून से लथपथ; आखिर क्या है माजरा
उन्होंने बताया कि सभी थानों में काउंसलिंग सेल को अनिवार्य रूप से सक्रिय किया जाएगा, जिससे संकट में फंसे लोगों और परिवारों तक समय से सहायता पहुंचाई जा सके।
“संवाद ही समाधान”
एडीजी मुथा अशोक जैन ने समाज, परिवारों और युवाओं से भावनात्मक रूप से अपील की। उन्होंने कहा, “तनावग्रस्त व्यक्ति को डांटें नहीं, उसे सुनें…उसे सहारा दें। संवाद ही समाधान है।” युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि असफलता अंत नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का अवसर है।
आर्थिक दबाव पर स्पष्ट संदेश
एडीजी ने आर्थिक संकट और कर्ज से परेशान लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और मदद मांगने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “कर्ज अस्थायी है, जीवन नहीं। मदद मांगना कमजोरी नहीं, साहस है।”