

वेबसाइट्स पर ‘Accept All Cookies’ पर क्लिक करना आपके ऑनलाइन डेटा को ट्रैकिंग के हवाले कर सकता है। कुकीज सुविधाजनक जरूर हैं, लेकिन इनके दुरुपयोग से आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है। जानिए कैसे करें स्मार्ट ब्राउजिंग और अपनी जानकारी को रखें सुरक्षित।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: जब भी हम किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो अक्सर एक पॉप-अप हमारे सामने आता है-'Accept All Cookies' या 'Reject All Cookies'। ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे "Accept" पर क्लिक कर देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये Cookies असल में होती क्या हैं और इन्हें एक्सेप्ट या रिजेक्ट करने से आपके साथ क्या हो सकता है?
कुकीज (Cookies) दरअसल, छोटी-छोटी फाइलें होती हैं जिन्हें वेबसाइट्स आपके ब्राउज़र या डिवाइस में सेव कर देती हैं। इनका मकसद यह होता है कि जब आप दोबारा उस साइट पर आएं, तो वह आपकी पिछली गतिविधियों, भाषा सेटिंग, पसंदीदा प्रोडक्ट्स या लॉगिन डिटेल्स को याद रख सके। इससे आपका इंटरनेट अनुभव ज्यादा तेज और स्मूथ हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने कोई सामान शॉपिंग कार्ट में डाला था, तो अगली बार वेबसाइट उसे याद रखेगी।
Essential Cookies- ये वेबसाइट को फंक्शनल बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं।
Preference Cookies- ये आपकी भाषा, लोकेशन, या थीम जैसी सेटिंग्स को याद रखती हैं।
Analytics Cookies- ये आपकी वेबसाइट पर गतिविधियों को ट्रैक करती हैं, जिससे वेबसाइट को बेहतर बनाया जा सके।
Marketing Cookies- ये आपकी ऑनलाइन आदतों के आधार पर आपको विज्ञापन दिखाने के लिए उपयोग होती हैं।
अगर आप सभी कुकीज को 'Accept' करते हैं, तो वेबसाइट का उपयोग आसान हो जाता है। आपको हर बार भाषा या लॉगिन जैसी जानकारी दोबारा नहीं भरनी पड़ती। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि कंपनियां आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना शुरू कर देती हैं। आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री, सर्च पैटर्न, और खरीदारी की आदतें- सब पर नजर रखी जाती है। इसके आधार पर आपको पर्सनलाइज्ड विज्ञापन दिखाए जाते हैं।
ऐसे बचाएं अपनी प्राइवेसी
वहीं, अगर आप सभी कुकीज को 'Reject' कर देते हैं, तो आपकी प्राइवेसी तो बचती है, लेकिन वेबसाइट का अनुभव थोड़ा असहज हो सकता है। कुछ साइट्स तो बिना कुकीज एक्सेप्ट किए काम ही नहीं करतीं।
2018 में EU के GDPR (General Data Protection Regulation) लागू होने के बाद से कंपनियों को यूज़र्स की सहमति लेनी अनिवार्य हो गई है। इसी कारण से अब लगभग हर वेबसाइट पर कुकीज का पॉप-अप दिखता है। हालांकि, भारत में अभी ऐसे सख्त नियम नहीं हैं, लेकिन डिजिटल जागरूकता बढ़ रही है और यूज़र्स भी अब सतर्क हो रहे हैं।
जरूरी कुकीज को ही एक्सेप्ट करें, बाकी को रिजेक्ट कर दें।
महीने में एक बार ब्राउज़र की कुकीज क्लियर करें।
एडब्लॉकर या प्राइवेसी टूल्स जैसे uBlock Origin, Privacy Badger का इस्तेमाल करें।
Incognito Mode में ब्राउज़िंग करने से भी ट्रैकिंग से बचा जा सकता है।
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यह जरूरी है कि हम कुकीज को दुश्मन न समझें। ये इंटरनेट को हमारे लिए ज्यादा सुविधाजनक बनाती हैं। लेकिन सावधानी और समझदारी से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। एक्सेप्ट करने से पहले एक बार सोचें- क्या आपको अपनी हर ऑनलाइन हरकत किसी और को बतानी है?
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