बुलडोजर एक्शन पर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन?

डीएन ब्यूरो

बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी कर दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।

सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज बुलडोजर एक्‍शन पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि किसी का भी आशियाना तोड़ना अवैध है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसे ही किसी का मकान नहीं तोड़ सकती है। आज अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर एक गाइडलाइन जारी की है। इसका मतलब है कि सरकारों को इस तरह की कार्रवाई को रोकना है। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह स्‍पष्‍ट है कि आरोपियों के मकान को तोड़ना राज्‍य सरकारों के लिए आसान नहीं होगा, लेकिन अभी ऐसी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है कि मकानों को तोड़ने से बचाया जा सके। सरकारी तंत्र के पास यह पूरा अधिकार है कि वो अवैध रूप से बनाए गए मकान पर एक्‍शन लें। अब बुलडोजर एक्शन को लेकर संविधान की धारा-142 के तहत नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है।

1. अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई से पहले लोगों को समय देना चाहिये।
2. घर तोड़ने से पहले मालिक को नोटिस दिया जाना चाहिये।
3. आरोपी और उसके परिवार का पक्ष सुने बिना कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
4. बुलडोजर एक्‍शन से पहले आरोपी को नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाना चाहिये।
5. इस नोटिस की जानकारी डीएम को अवश्य देना होगी। 

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6. तोड़फोड़ की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।

7. जो भी अधिकारी ध्वस्तीकरण के लिए नियुक्त किया जाएगा उसे अभियुक्त के मतों की सुनवाई करनी होगी। ऐसी बैठक के विवरण को रिकॉर्ड किया जाएगा।

8. ये निर्देश किसी सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेल लाइन या किसी नदी या जल निकाय पर कोई अवैध निर्माण होने पर लागू नहीं होंगे। 

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9. पूर्व नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। जिसका जवाब नोटिस देने के 15 दिनों में दिया जाना चाहिए। नोटिस को डाक से भी भेजना होगा और निर्माण पर भी चिपकाया जाना चाहिए। 

10. ध्वस्तीकरण के आदेश पारित होने के बाद भी, ध्वस्तीकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।










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