Uttar Pradesh: क्या है हट्ठी माता के मंदिर का रहस्य, क्यों लंबी लाइनों में लगे रहते हैं भक्त

डीएन ब्यूरो

सिसवा वासियों के लिए हटठी माता के लिए एक अलग ही महत्व है। लोग माता के दर्शन करने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे रहते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से अगर कामना की जाए तो माता हर कामना पूरी करती हैं। जानिए क्या है माता के मंदिर का इतिहास, डाइनामाइट न्यूज़ पर..



महराजगंजः प्राचीन काल से सिसवा कस्बे में स्थापित हट्ठी माता के मंदिर का एक खास महत्व माना जाता है। वैसे तो माता के मंदिर में नवरात्रि के बावजूद भी प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को सिसवा के लोग मत्था टेकते ही हैं। आस्था इतनी है कि नवरात्रि में माता को धार-कपूर और कढ़ाही चढ़ाने वालों की भीड़ लगी रहती है। कस्बे के पूर्व दिशा में इस्टेट परिसर के बगल में स्थापित माता की महिमा में बताया जाता है कि आज़ादी के पूर्व और मंदिर निर्माण के पूर्व इस स्थान पर अंग्रेजों का बसेरा हुआ करता था। जो सिसवा के लोगों पर जुल्म ढाते थे।

कठ्ठी माता का मंदिर

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ऐसी मान्यता है कि अंग्रेजों से रक्षा करने के लिए माता नर देवी ने यहां वास लिया था। जिसके बाद अंग्रेज किसी को छू तक नहीं पाए थें। माता के आदेशानुसार स्वतंत्रता सेनानी करिया सिंह ने वहां पिंड की स्थापना किया। इसके बाद अंग्रेज चाहकर भी करिया सिंह का बाल बांका भी नहीं कर सके। बाद में पिंड के स्थान पर मंदिर की स्थापना कर पिंड को हाथी रूप में हट्ठी माता को स्थापित किया गया। वर्ष 2015 में इस्टेट परिवार द्वारा माता की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की गई। 

माता के मंदिर में लोगों की भीड़

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इस्टेट सहित नगर के क्षत्रिय इन्हें अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा-अर्चना करते हैं। सिसवा कस्बे के लोगों की ऐसी मान्यता और विश्वास है कि कस्बे में आने वाले किसी भी विपत्ति व दैवीय आपदा से हट्ठी माई अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।










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