

दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कॉलेज की प्रिंसिपल दीवारों पर गोबर की पोताई करवाती दिखाई दे रही हैं। पूरी खबर जाननें के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज की एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रत्यूष वत्सला को क्लासरूम की दीवारों पर गाय के गोबर से लेप करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में उनके साथ कुछ अन्य शिक्षक भी दिखाई दे रहे हैं। यह दृश्य देखकर सोशल मीडिया पर लोगों की काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि कॉलेज की प्रिंसिपल ने गाय के गोबर से दीवारों की लिपाई शुरू कर दी है और अब विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
दिल्ली विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल का दीवार पर गोबर से लिपाई कराते वीडियो हुआ वायरल#DelhiUniversity #Dung #viralvideo pic.twitter.com/lB1MBwWeYB
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) April 14, 2025
वहीं इस वीडियो पर कई यूजर्स ने तंज कसते हुए टिप्पणियां की हैं। किसी ने प्रिंसिपल की डिग्री पर सवाल उठाया तो किसी ने सरकार द्वारा दी जा रही सैलरी को लेकर कटाक्ष किया।
प्रिंसिपल ने दी सफाई
दूसरी तरफ, विवाद बढ़ने पर प्रिंसिपल डॉ. वत्सला ने इस पर अपनी सफाई दी है। उन्होंने बताया कि यह कार्य एक शोध परियोजना का हिस्सा है, जो कॉलेज के एक फैकल्टी सदस्य द्वारा किया जा रहा है। इस प्रयोग का उद्देश्य पारंपरिक भारतीय तरीकों से कक्षाओं को ठंडा रखने के उपाय तलाशना है।
वातावरण को बेहतर बनाने का उद्देश्य
प्रिंसिपल का कहना है कि यह एक पर्यावरणीय प्रयोग है, जो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने के इरादे से किया जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वीडियो केवल शिक्षकों के एक समूह के साथ साझा किया गया था और इसका मकसद किसी तरह का प्रचार नहीं था।
लक्ष्मीबाई कॉलेज के बारे में
बता दें कि लक्ष्मीबाई कॉलेज की स्थापना वर्ष 1965 में की गई थी और इसका नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में रखा गया था। कॉलेज में कुल पांच भवन हैं, जिनमें से एक ब्लॉक में यह शोध प्रयोग किया जा रहा है। कॉलेज प्रशासन ने जानकारी दी है कि एक सप्ताह के भीतर इस परियोजना के परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे।