

उत्तराखण्ड में प्रांतीय रक्षक दल(पीआरडी) जवानों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। बजट खत्म होने के कारण सरकार ने उनकी तैनाती 30 अप्रैल 2025 तक सीमित कर दी है। जिससे जवानों में आक्रोश देखा जा रहा है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
पिथौरागढ़: प्रदेश में पीआरडी जवानों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। बजट खत्म होने के कारण सरकार ने उनकी तैनाती 30 अप्रैल 2025 तक सीमित कर दी है, जिससे जवानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। नौकरी पर मंडराते खतरे के चलते जवानों ने विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की चेतावनी दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, लंबे समय से स्थायी नियुक्ति और सालभर की ड्यूटी की मांग कर रहे पीआरडी जवानों के लिए हालात कठिन होते जा रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और युवा कल्याण मंत्री ने उन्हें वर्षभर काम देने का आश्वासन दिया था, लेकिन पिथौरागढ़ में अधिकारियों ने बजट का हवाला देकर उनकी तैनाती 31 मार्च 2025 तक सीमित कर दी थी। भारी विरोध के बाद इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया, लेकिन जवानों का आक्रोश कम नहीं हुआ।
इस फैसले के खिलाफ पीआरडी जवानों ने जिलाध्यक्ष दीपा सामंत के नेतृत्व में एक आपात बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि जवान आपदा राहत, कोरोना ड्यूटी, चुनाव व अन्य आवश्यक सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन अब उनकी नौकरी खतरे में है। उन्हें मात्र 18,500 रुपये मानदेय मिलता है, जिससे उनका जीवनयापन मुश्किल हो रहा है। नौकरी जाने की आशंका से जवान मानसिक तनाव में हैं।
मुख्यमंत्री से नौकरी बचाने की अपील
पीआरडी संगठन की जिलाध्यक्ष दीपा सामंत ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जवानों के लिए आवंटित बजट अन्य कार्यों में खर्च किया जा रहा है। साथ ही चेतावनी दी कि अगर किसी जवान को जबरन हटाया गया तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। जवानों ने विधायकों और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी मांगें रखी हैं।
यदि सरकार समाधान नहीं निकालती, तो जवान न्याय के लिए कोटगाड़ी देवी के दरबार में प्रार्थना करेंगे। वहीं, जिला युवा कल्याण अधिकारी जगदीश नेगी ने बताया कि डीएम के आदेशानुसार 30 अप्रैल तक ही जवानों की तैनाती होगी।
प्रदेशभर में लगभग 9000 पीआरडी जवान पुलिस, यातायात प्रबंधन, धार्मिक स्थलों, मेलों और सरकारी संस्थानों में सेवा दे रहे हैं। उनकी सेवाएं महत्वपूर्ण कार्यों में ली जाती हैं, लेकिन अब उनकी नौकरी पर अनिश्चितता बनी हुई है। सरकार के आगामी फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।