UAE Temple: मुस्लिम देश में बना 'ये' भव्य मंदिर कई तकनीकों से है लेस, देखें वैज्ञानिक-प्राचीन वास्तुशिल्प का अनोखा संगम

डीएन ब्यूरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अबू धाबी में जिस पहले हिंदू मंदिर का बुधवार को उद्घाटन करेंगे उसे वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का उपयोग करके बनाया गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

वैज्ञानिक-प्राचीन वास्तुशिल्प का अनोखा संगम
वैज्ञानिक-प्राचीन वास्तुशिल्प का अनोखा संगम


अबू धाबी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अबू धाबी में जिस पहले हिंदू मंदिर का बुधवार को उद्घाटन करेंगे उसे वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का उपयोग करके बनाया गया है।

दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है।

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इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधि पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए उड़न राख यानी ‘फ्लाई ऐश’ (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) का उपयोग किया गया है। इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।

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मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, इस भव्य मंदिर को ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्रों’ में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है। ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्र’ ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं।

बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘इसमें वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है, तो मंदिर इसका पता लगा लेगा।’’

मंदिर के निर्माण प्रबंधक मधुसूदन पटेल ने ‘पीटीआई’ से कहा ‘‘हमने मंदिर में गर्मी प्रतिरोधी नैनो टाइल और भारी ग्लास पैनल का उपयोग किया है जो पारंपरिक सौंदर्यात्मक पत्थर संरचनाओं और आधुनिक कार्यक्षमता का मेल है। संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइल पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।’’

मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है।

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मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कीर्ण संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है। मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है।

मंदिर स्थल पर खरीद और सामान की देखरेख करने वाले विशाल ब्रह्मभट्ट ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक ‘पवित्र’ पत्थर लाया गया है।

इस मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से जारी है। मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी है।

संयुक्त अरब अमीरात में तीन और हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। अद्भुत वास्तुशिल्प और नक्काशी के साथ एक बड़े इलाके में फैला बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर होगा।










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