Navratri Special: राजस्थान में स्थित है मां का ये शक्तिपीठ मंदिर, जानिये यहां के लोकप्रिय लोक देवियों के मंदिर के बारे में

डीएन ब्यूरो

राजस्थान में माता रानी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. जहां नवरात्रि में दूर-दूर श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में

फाइल फोटो
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 राजस्थान: प्रदेश में अलग-अलग कोनों में फैले हुए देवी मां के प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्रि में भक्‍तों की तांता लगा रहता है। राजस्थान में मां की शक्तिपीठ और लोक देवियों के मंदिर हैं, जिसकी लोगों मैं बहुत आस्था है।

हर साल नवरात्रि में सभी माता के मंदिरो में भक्‍तों का रेला उमड़ पड़ता है और सब विभिन्न रूपों की माता की अराधना है। ऐसा माना जाता है कि राजस्थान के मंदिरो में जाने से नवरात्रि में लाखों लोगों की मनोकामना पूरी होती है। राजस्थान में माता रानी के प्रसिद्ध मंदिर, जिनका दुनिया करती हैं गुणगाण आज हम आपको  बतायगे  जहाँ आप जा कर दर्शन कर सकते है।

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1.पुष्कर का शक्तिपीठ मणिवेदिका


माता के 52 में से 27वां शक्तिपीठ मणिवेदिका अजमेर के पुष्कर में है. माता का यह पवित्र स्थान तीर्थ नगरी पुष्कर में मौजूद है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती की कलाइयां गिरी थी. पुष्कर में नाग पहाड़ी और सावित्री माता की पहाड़ी के बीच स्थित है पुरुहूता पर्वत. स्कन्द पुराण में माता का 27वां शक्तिपीठ पुष्कर के पुरुहूता पर्वत पर स्थित है. अजमेर रेलवे स्टेशन से पुष्कर में मां का मंदिर 18 किलोमीटर है, यहां बस-कार से बीस मिनट में पहुंचा जा सकता है.

2 .  करणी माता का मंदिर 

बीकानेर के देशनोक में करणी माता का मंदिर है।  राजस्थान के बीकानेर जिले में देशनोक नाम की जगह पर करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में भारी मात्रा में चूहे हैं. इसलिए इस मंदिर को रैट टैम्पल के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इन चूहों में भी कुछ चूहे सफेद हैं. सफेद चूहों को देखना अति शुभ माना जाता है. ये देवी का चमत्कार ही है कि इतने चूहों के कारण भी अब तक यहां कोई बीमारी नहीं फैली. नवरात्र के मौके पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन और मनोकामना पूरी करने के लिए पहुंचते हैं. प्रसिद्ध मंदिर बीकानेर रेलवे स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर है. 

3. जीण माता मंदिर 

राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले में स्थित जीण माता मंदिर लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है.जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित धार्मिक महत्त्व का एक गाँव है। यह सीकर से २९ किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।जीणमाता का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर सेेेे 108 किलोमीटर हैै. नवरात्रों में यहां बहुत बड़ा मेला लगता  है।

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4. माउंट आबू में अर्बुदा देवी 

माउंट आबू में अर्बुदा देवी मां दुर्गा के नौ रूपों में से कात्यायनी का ही रूप हैं, जिनकी विशेष पूजा नवरात्रि के छठवें दिन होती है। आबू हिल स्टेशन का नाम माता अर्बुदा देवी के नाम पर ही है. अर्बुद पर्वत पर मां अर्बुदा देवी का मंदिर है जो देश की शक्तिपीठों में से एक है।

5.  दुर्ग मेहरानगढ़ में मां चामुंडा मंदिर 

जोधपुर शहर के सबसे प्रसिद्ध दुर्ग मेहरानगढ़ में मां चामुंडा का सदियों पुराना मंदिर है. नवरात्र में माता के दर्शन करने के लिए यहां सुबह से ही जल्दी लंबी कतारें लग जाती हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां प्रतिवर्ष नवरात्र में धोक लगाने आते हैं. जोधपुर के चामुंडा माता मंदिर में भक्तों की भक्ति देखने लायक होती है.

6.  मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी मंदिर 

वरात्र में माता त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन का विशेष महत्व है. सिंहवाहिनी मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टदश (अठारह) भुजाओं वाली है. पांच फीट ऊंची मूर्ति में माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां अंकित हैं. माता के सिंह, मयूर और कमलासीनी होने के कारण यह दिन में तीन रूपों को धारण करती हुई प्रतीत होती है. माता प्रात:कालीन बेला में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना और सायंकालीन वेला में प्रौढ़ रूप में मां के दर्शन होते है. नवरात्रि पर्व पर नौ दिन तक त्रिपुरा सुंदरी की नित-नूतन श्रृंगार की मनोहारी झांकी बरबस मन मोह लेती है. अष्टमी और नवमी को हवन होता है. कलश को ज्वारों सहित माही नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है. विसर्जन स्थल पर एक मेला सा जुटता है. सलीला ‘माही’ नदी को पुराणों में ‘कलियुगे माही गंगा’ की संज्ञा दी गई है. बांसवाड़ा से 18 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतमालाओं के बीच मां त्रिपुरा सुंदरी का भव्य मंदिर है. 

7.  कैला देवी मंदिर

जयपुर से 195 किमी दूर करौली जिले में कैला देवी मंदिर सैकड़ों साल से ज्यादा पुराना मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर में चांदी की चौकी पर स्वर्ण छतरियों के नीचे दो प्रतिमाएं हैं. इनमें एक बाईं ओर है, उसका मुंह कुछ टेढ़ा है, वो ही कैला मइया हैं, दाहिनी ओर दूसरी माता चामुंडा देवी की प्रतिमा है. कैला देवी की आठ भुजाएं हैं.कैला देवी को यदुवंश की कुलदेवी कहा जाता है। यादवों के लिए इस मंदिर का काफी महत्‍व है।

8. विराटनगर अंबिका शक्तिपीठ राजस्थान

यह शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर से उत्तर में महाभारतकालीन विराट नगर के प्राचीन ध्वंसावशेष के निकट एक गुफा में है, जिसे 'भीम की गुफा' भी कहते हैं। यहीं के विराट ग्राम में यह शक्तिपीठ स्थित है।जयपुर जिले के विराटनगर तहसील पापडी गांव में अंबिका पीठ मंदिर है, जहां गिरी थी सती की पैर की चार अंगुलियां. जयपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और ये प्राचीन राज्य मत्स्य की राजधानी थी।

9. शाकम्भरी माता का मंदिर

राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित सांभर झील। नमक की इस झील से लाखों टन नमक पैदा होता है। यहां पर स्थित प्रसिद्ध शाकम्भरी माता का मंदिर। देश में शाकम्भरी माता की तीन शक्तिपीठ है जिनमें ये सबसे पुरानी है। यहां मंदिर करीब 2500 साल पुराना है। कहा जाता है कि शाकम्भरी माता के श्राप से यहां बहुमूल्य सम्पदा नमक में बदल गई थी।

10.झांतला माता मंदिर 

नवरात्र में माताजी की पांडोली गांव में शक्तिपीठ झांतला माताजी मंदिर में दर्शनों के लिए हजारों भक्तों की भीड़ रहेती है।झातला माता मेंं आने वाले श्रद्धालुओं में बहुत बड़ी संख्या भीलवाड़ा जिले से होती है यहां हर साल  पारम्परिक मेला भी लगता है श्री झांतला माता एक चमत्कारी शक्तिपीठ है, जहां जाने वाले कई रोगी ठीक हो जाते हैं, यहां ज्यादातर लकवे के रोगी आते हैं। इस मंदिर में हमेशा अंधेरा होता है और उसी में माता की पूजा की जाती है। इस मूर्ति के बाहर गेंहू और मक्केके दाने बिखरे रहते हैं।










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