Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्र‍ि की पूजा, जानिये इनका स्वरूप व महात्म्य

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्‍वरूप कालरात्र‍ि की पूजा की जाती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्‍वरूप कालरात्र‍ि की पूजा का विधान है। नवरात्रि में सप्तमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए यह रूप लिया था।

कालरात्रि देवी महादेवी के नौ नवदुर्गा रूपों में से सातवीं देवी हैं। देवी महात्म्य में माता का उल्लेख सर्वप्रथम मिलता है। कालरात्रि देवी मां के भयानक रूपों में से एक है।/

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मां कालरात्रि का स्वरूप

नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है। इनकी पूजा में गुड़ के भोग का विशेष महत्व होता है। अगर बात की जाए मां कालरात्रि के स्वरूप की तो उनके तीन नेत्र हैं और चार हाथ हैं। देवी भागवत में कालरात्रि को आदिशक्ति का तमोगुण स्वरूप बताया गया। कालरात्रि माता को काली और शुभंकरी भी कहा जाता है। कालरात्रि माता के विषय में कहा जाता है कि यह दुष्टों के बाल पकड़कर खड्ग से उसका सिर काट देती हैं। रक्तबीज से युद्घ करते समय मां काली ने भी इसी प्रकार से रक्तबीज का वध किया था।

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नकारात्मक ऊर्जाओं का होता नाश

देवी के इस रूप की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। यह रूप को सभी राक्षसों, भूतों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करने वाला होता है। कालरात्रि का रंग सबसे अंधेरी रातों का है, जिसमें भरपूर बाल और एक स्वर्गीय आकार का रूप है। माता के चार हाथ हैं- बाएं दो हाथों में एक कैंची और एक वज्र है और दाहिने दो वरद (आशीर्वाद) और अभय (रक्षा) मुद्रा में हैं।

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ऐसे करें पूजा

  • स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- 
  • मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  • मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
  • मां को रोली कुमकुम लगाएं।
  • मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल अर्पित कर आरती करें।

मां कालरात्रि का मंत्र

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ॐ देवी कालरात्र्यै नम: ṃ देवी कालरात्रयै नम:

मां कालरात्रि मंत्र- मां कालरात्रि मंत्र :

या देवी सर्वभूतेषु मॉम कालरात्रि रूपेण थियता नमस्तस्यैै नमस्त्स्यै नमो नम:

इस वजह से प्रकट हुईं थी मां कालरात्रि

दुष्टों का नाश करने के लिए मां कालरात्रि प्रकट हुईं थी। वह हमेशा अपने भक्तों के लिए अच्छे फल देती हैं और भक्तों के  सामने डर आने से बचाती हैं, क्योंकि वह ऐसे भक्तों के जीवन से चिंता के अंधकार को दूर करती है। नवरात्रि के सातवें दिन उनकी पूजा को योगियों और साधकों द्वारा विशेष रूप से उच्च महत्व दिया गया है। कालरात्रि मंदिर वाराणसी, डुमरी बुज़ुर्ग नयागांव बिहार, विंध्याचल मिर्जापुर (यूपी), पटियाला पंजाब, संगरूर पंजाब में स्थित है।










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