Shardiya Navratri 2022: जानिये दशहरा के पहले वाली नवरात्रि को क्यों बोलते हैं शारदीय नवरात्रि, पढ़िये ये पौराणिक कथा
दशहरा से पहले पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि आश्विन के महीने में मनाई जाती है। 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की तैयारियां जोरो-शोरों पर चल रही है।
एक तरफ कुछ भक्त घरों में कलश स्थापाना करके मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं बंगालियों द्वारा दुर्गा पूजा के रूप में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। मां दुर्गा के अवतरण और असुरों के संहार से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएं वर्णित हैं। लेकिन उनमें से एक कथा बहुत प्रचलित है।
डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिये कि किस तरह मां दुर्गा का अवतरण हुआ और उन्होंने कैसे असुर का संहार किया।
पौराणिक कथा
भगवान ब्रह्मा ने महिषासुर को उसके प्रति समर्पण की वजह से अमर होने यानि कभी न मरने का वरदान दिया था। वरदान देते समय भगवान ब्रह्मा ने कहा था कि महिषासुर को एक महिला ही हरा सकती है। वहीं महिषासुर अभिमान में था कि एक महिला उसे कैसे मार सकती है और इसलिए वह भगवान ब्रह्मा के वरदान से बहुत खुश था। इसी वजह से महिषासुर पृथ्वी लोक पर तबाही मचाने लगा। महिषासुर के संहार के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव- तीनों ने मिलकर देवी दुर्गा को बनाया और उन्हें कई हथियार दिए।
मां दुर्गा ने किया संहार
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मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार करने के लिए उसके साथ युद्ध किया। माता ने महिषासुर से 10 दिनों तक युद्ध किया। युद्ध के दौरान महिषासुर माता को भ्रमित करने के लिए बार-बार रूप बदल लेता था। जब वह भैंस के रूप में था, मां दुर्गा ने उसे हरा दिया। यही वजह है कि नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।
इसलिए कहा जाता है शारदीय नवरात्रि
मां दुर्गा का महिषासुर के साथ युद्ध आश्विन के महीने में नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। यही वजह है कि नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित किया गया है। आश्विन महीने से शरद ऋतु की शुरूआत होती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।