Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानिये माता के इस स्वरूप की महिमा

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पांचवें दिन देवी मां के पांचवें रूप मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो


नई दिल्ली: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें रूप मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है।

स्कंदमाता महादेवी के नवदुर्गा रूपों में पांचवीं हैं। इनका नाम स्कंद से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय का एक वैकल्पिक नाम है और माता, जिसका अर्थ है मां। स्कंदमाता को अत्यंत दयालु माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा का यह स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है। मान्यता के अनुसार स्कंदमाता की आराधना करने से मोक्ष के द्वार खुलते हैं और भक्त को परम सुख की प्राप्ति होती है।

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इस वजह से देवी कहलाई स्कंदमाता

भगवान स्कंद 'कुमार कार्तिकेय' नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता के दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प विराजमान है। बाईं तरफ की ऊपरी भुजा में वरमुद्रा है और नीचे वाली भुजा में कमल स्थापित है। स्कंदमाता का वाहन शेर है और वह कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। यही वजह है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

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ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा

  • सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
  • चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें।
  • चौकी पर ही श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें
  • फिर उन्हें फल चढ़ाएं, फूल चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप जलाएं।
  • पूजा करने के बाद  मां स्कंदमाता को  केले का भोग लगाना चाहिए।
  • मां को पूजा के दौरान  इलायची भी चढ़ाना बहुत अच्छा माना जाता है।

मां स्कंदमाता का मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥










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