Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के छठवें दिन ऐसे करें मां कात्यायनी महादेवी की पूजा, जानिये उनका महात्म्य

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी महादेवी की पूजा करते हैं। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

मां कात्यायनी
मां कात्यायनी


कात्यायनी  महादेवी के नवदुर्गा रूपों का छठा रूप है । उसे अत्याचारी राक्षस महिषासुर के वध के रूप में देखा जाता है। नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है।माता ने यह रूप अपने भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था। देवी भागवत पुराण में ऐसी कथा मिलती है कि, ऋषि कात्यायन मां आदिशक्ति के परम भक्त थे। इनकी इच्छा थी कि देवी उनकी पुत्री के रूप में उनके घर पधारें।तब माता ने कात्यायनी  का रूप  धारण कर उनके घर गयी थी। 
मां कात्यायनी, को  महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.शास्त्रों में माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। षष्ठी देवी मां को ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहते हैं.कत्यायानी का मतलब देवी पार्वती, लाल रंग में सजे, दुर्गा और पार्वती का एक रूप को दर्शाती है।  
इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है।  इनका वाहन सिंह है.


 मां कात्यायनी की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आने की मान्यता है। , मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में जिसका बृहस्पति कमजोर है मजबूत हो जाता है। माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि हमेशा के लिये नष्ट  हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए हमेशा  तत्पर रहना  चाहिए।

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।

कात्यायनी माता का मंत्र 

कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


 इस दिन माता को भोग में शहद दिया जाता है। मां को शहद अतिप्रिय है।
माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से उपवासक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।










संबंधित समाचार