छठ महापर्व की तैयारियों के बीच जानिये इसका रोचक इतिहास, बाजारों में रौनक

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद में छठ माता के पर्व पर सूर्यदेव का सम्मान करने वाला एकमात्र पवित्र त्योहार है। बाजारों में क्या है खास हलचल, नहाय खाए-अध्र्य की खास तिथियों के बारे में जानने को पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की ये खास रिपोर्ट

सज़ गये बाज़ार
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महराजगंजः दीवाली के छह दिन बाद पड़ने वाला छठ पूजा का त्योहार महिलाएं धूमधाम से मनाती हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक यह पूजा मनाई जाती है। छठ पूजा सूर्यदेव का सम्मान करने वाला पवित्र त्योहार माना जाता है।

इस त्योहार में ठेकुआ जैसे प्रसाद का खास महत्व होता है। बिना अन्न, जल वाले इस कठिन व्रत को महिलाएं घर की खुशहाली और संतान के उज्जवल भविष्य की कामना का वर छठ माता से मांगती हैं। इस त्योहार में दान के कार्य जैसे कपउे या चावल का दान भी किया जाता है।

इस त्योहार को सूर्य षष्ठी, छठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। नहाए खाय 4 नवंबर मंगलवार को मनाया जाएगा। 

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कब है छठ पूजा, जानें सही तिथि 
छठ पूजा दिवाली से 6 दिन बाद की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, गुरुवार, 7 नवंबर 2024 की रात 12:41 बजे शुरू होगी और इसका समापन शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 की रात 12:34 बजे होगा। ऐसे में 7 नवंबर के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाएगा। 

छठ पूजा का नहाय-खाय 
इस साल नहाय-खाय (Nahay-Khay) मंगलवार, 5 नवंबर 2024 के दिन होगा। पंचांग के अनुसार, नहाय खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थि तिथि को किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान-ध्यान करती हैं और फिर नहाय-खाय करती है। नहाय खाय के दिन कद्दू (लौकी) और भात का प्रसाद बनाने की परंपरा है। यह परम्परा सालों से चली आ रही है।

जानिए इतिहास और महत्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ महापर्व का खरना किया जाता है। यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और छठी मैया की पूजा में लीन रहती हैं। इसके बाद शाम को प्रसाद बनाने और ग्रहण की परंपरा है। इस साल खरना बुधवार, 6 नवंबर 2024 को है। 

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सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व 
गुरुवार, 7 नवंबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की विधान है. वहीं अगली सुबह शुक्रवार, 8 नवंबर 2024 को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाएगी। 

विराजेंगी छठी माता
कुछ स्थानों पर छठ माता की प्रतिमा पांडालों में स्थापित कर विधि विधान से पूजन अर्चन भी किया जाएगा। माता की प्रतिमा का विसर्जन भी धूमधाम से किया जाता है। इसको लेकर नगर में काफी हर्षोल्लास देखने को मिलता है। 










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