अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर राहुल गांधी ने कही ये बड़ी बात

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ देशभर में जो मुकदमे दर्ज कराए हैं उनसे वह डरे नहीं हैं बल्कि उन्हें तो वह पदक के समान मानते हैं।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 6 December 2019, 11:47 AM IST
google-preferred

केरल: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ देशभर में जो मुकदमे दर्ज कराए हैं उनसे वह डरे नहीं हैं बल्कि उन्हें तो वह पदक के समान मानते हैं। राहुल ने कहा मेरे खिलाफ 15 से 16 मुकदमे हैं। जब आप सैनिकों को देखते हैं तो उनके सीने पर कई सारे पदक होते हैं। राहुल ने कहा हर मुकदमा मेरे लिए पदक के समान है। राहुल ने यहां वनयांबलम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के एक कार्यक्रम को संबोधित किया।

यह भी पढ़ें:सरकार पर प्रियंका का बड़ा तंज, कहा भारतीय लाइफ लाइन के निजीकरण की तैयारी 

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा इनकी संख्या जितनी अधिक होगी मैं उतना खुश होऊंगा। उन्होंने कहा कि वह उनसे वैचारिक लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह नफरत से भरे भारत में यकीन नहीं रखते और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा चाहे कितनी बार भी उन्हें मनाने की कोशिश करे वह उस पर यकीन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि देश की ताकत महिलाओं, सभी धर्मों, समुदायों, अलग-अलग विचारधारा के लोगों के सम्मान में थी। उन्होंने सामने मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा हर बार जब भी आप मेरे खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे मैं प्यार की बात करूंगा... मैं यह कभी नहीं भूलूंगा कि आपलोग मेरे साथ खड़े हैं। इसलिए जब भी वे मेरे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज कराते हैं तो वे मेरे सीने पर एक पदक जड़ते हैं।

यह भी पढ़ें: एक बार फिर अयोध्या मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या कहा AIMPLB ने

पिछले साल राज्य में आई भीषण बाढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग अपना घर, जीवन सबकुछ गंवा बैठे लेकिन इस त्रासदी में भी लोगों का सकारात्मक बर्ताव दिखा। अब भी काफी कुछ पुननिर्माण कार्य होना बाकी है और प्रभावित लोगों तक सहयोग पहुंचाए जाने की आवश्यकता है। राहुल ने कहा कि वह राज्य सरकार के सामने लगातार मुआवजे और पुनर्वास का मुद्दा उठाते रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यहां जरूरतमंदों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने की संस्कृति रही है और इसे लेकर कोई दिखावा नहीं है जैसा कि देश के दूसरे हिस्सों में दिखता है। (भाषा)