Bihar Election: डाइनामाइट न्यूज टीम के साथ चलिये बिहार के चुनावी सफर पर, जानिये रेल यात्रा में प्रवासियों के मुद्दे
डाइनामाइट न्यूज की टीम बिहार विधान सभा चुनाव के स्पेशल कवरेज में जुटी हुई है और बिहार की जनता के बीच पहुंचकर उनका असली मूड़ समझने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में जानिये, आखिर क्या है बिहार की जनता के मन में
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जनता के असली मुद्दों को समझने और चुनावी मौसम में लोगों की नब्ज टटोलने के लिये डाइनामाइट न्यूज़ टीम बिहार के सफर के निकला है। डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता शुभम खरवार ने सत्याग्रह ट्रेन में सफर करके बिहार जा रहे कामकाजी प्रवासी लोगों से बातचीत की और श्रमिकों समेत आम आदमी के असली मुद्दों को समझने की कोशिश की।
सत्याग्रह ट्रेन दिल्ली के आनंद बिहार से खुलती है और लगभग 24 घंटे के सफर के बाद बिहार के पूर्वी चंपारण में स्थित रक्सौल तक का गंतब्य पूरा करती है। लंबी दूरी के इस सफर में राजधीन दिल्ली समेत यूपी और बिहार आने-जाने वाले के कई तरह के लोग इस ट्रेन में जगह-जगह से सवार होते हैं। कोरोना महामारी और चुनावी मौसम में भी इस ट्रेन का हर कंपार्टमेंट खचाखच भरा हुआ है और सभी को बिहार स्थित अपने-अपने घर पहुंचने का इंतजार है।
सत्याग्रह ट्रेन में डाइनामाइट न्यूज से जिन लोगों ने बातचीत की, उनमें से अधिकतर लोग मध्मवर्गीय, प्रवासी, श्रमिक और कामकाजी हैं। चुनावी मौसम में इन्हीं लोगों पर राजनेताओं और राजनीतिक दलों की सबसे ज्यादा नजरें हैं।
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डाइनामाइट न्यूज ने ट्रेन में सफर करने वाले बिहारी प्रवासी मजदूरों और आम लोगों से जब बातचीत की तो अधिकतर लोगों का कहना था कि चुनावी मौसम में अक्सर नेताओं को जनता की याद आती है। चुनाव खत्म होते ही जनता से वे अपना नाता तोड़ देते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है।
श्रीनगर से आ रहे दरभंगा जाने वाले एक मुसाफिर कहते हैं कि मुद्दे को नेता और पार्टियां ही तय करती है, जनता की केवल बातें होती है। वे कहते हैं कि नेता अक्सर वो ही करते हैं, जो राजनीतिक रूप से उनके लिये फायदेमंद हो और वोट की फसल काटने वाले हो। यदि जनता को ध्यान में रखते हुए घोषणाएं हो भी जाती है तो उन पर अमल नहीं होता। यदि ऐसा होता तो आज तक बिहार के अधिसंख्य लोगों को नौकरी के लिये राज्य से बाहर न जाना पड़ता।
इसी तरह बरेली में पढ़ने वाली बिहार का एक छात्र कहता है कि पिछले कुछ सालों से बिहार में विकास तो हुआ है। गावों तक सड़कें और बिजली पहुंच गयी है। कनेक्टिविटी बढ़ी है। लेकिन राज्य में कई क्षेत्रों में अब भी समस्याएं है, इसलिये जनता को वे नेता चुनने चाहिये, जो वास्तव में काम करना जानते हैं।
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डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में एक अन्य युवक का कहना है कि चुनावों में जनता की जागरुकता बेहद मायने रखती है। सभी लोगों के लिये चुनाव ऐसा समय होता है, जब लोग ऐसी सरकार के निर्माण में भागीदारी निभाते हैं, जो वास्तव में काम करने वाली हो।
अधिकतर लोगों का मानना था कि इस समय बिहार की जनता सोच-समझकर वोट करने जा रही है। वे ऐसी सरकार को बनाने की कोशिश करेंगे, जो वास्तव में बिहार को मुद्दों की समझ रखती हो और जो जनता की समस्याओं को सुलझाने का माद्दा रखती हो।