

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में हालिया प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियां बनाने पर चर्चा होने की संभावना है। प्राकृतिक आपदा से प्रदेश को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है । पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में हालिया प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियां बनाने पर चर्चा होने की संभावना है। प्राकृतिक आपदा से प्रदेश को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक प्रदेश में जुलाई और अगस्त में भारी बारिश ने कहर बरपाया। भारी बारिश से अचानक बाढ़ आयी और भूस्खलन हुआ। ऐसी आपदा के कारण इस पहाड़ी प्रदेश को लगभग 8,680 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि चर्चा के प्रस्तावों के अलावा, 743 तारांकित और 196 अतारांकित प्रश्न विधानसभा सचिवालय को प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस सत्र में एक निजी सदस्य दिवस सहित सात बैठकें होंगी।
उन्होंने कहा कि हाल की प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर यह सत्र बेहद महत्वपूर्ण है और उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियां बनाने पर सार्थक चर्चा होगी।
विस अध्यक्ष ने कहा कि मानसून सत्र में विधानसभा का 70 प्रतिशत कामकाज प्राकृतिक आपदा से संबंधित है, और उम्मीद जताई कि सदन के सदस्य राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठेंगे और राज्य के हित में मुद्दे उठाएंगे।
अध्यक्ष ने कहा कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा की उत्पादकता 94 प्रतिशत रही और कुल बैठक 75 घंटे तक चली।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विधानसभा में शून्यकाल शुरू करने पर विचार चल रहा है और फिलहाल जरूरी मुद्दे ‘व्यवस्था के प्रश्न’ के तहत उठाये जाते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण विचाराधीन है और विधानसभा का अपना प्रसारण चैनल शुरू करने सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
पठानिया ने कहा कि रविवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
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