

देश के केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक समिति की बैठक में कई बड़े फैसले लिए है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को रैपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। जिससे होम और कार लोन में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक के इस फैसले से अमेरिका की ओर से लगाए गए पारस्परिक शुल्कों से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
ब्याज दरों में कटौती के बाद प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत हो गई। इस कदम से आवास, ऑटो और कॉर्पोरेट ऋण लेने वालों को राहत मिली।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों से घटाकर 6% करने के लिए मतदान किया। इस दौरान गवर्नर ने वैश्विक विकास के लिए नई चुनौतियों की ओर इशारा भी किया।
पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयातों पर 26 प्रतिशत का भारी-भरकम पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो 9 अप्रैल से प्रभावी होगा। आरबीआई गवर्नर ने वित्तीय वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नीतिगत और व्यापार संबंधी अनिश्चितताओं के कारण वृद्धि अनुमानों में 20 आधार अंकों की कमी की गई है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI के रेपो रेट में कमी करने के बाद बैंक लोन के इंटरेस्ट रेट में कमी करेंगे। इससे होम लोन ले चुके ग्राहकों की EMI घटेगी। लेकिन, यह फायदा सिर्फ उन लोगों को मिलेगा, जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लिया है।
घर खरीदने के लिए होम लोन लेने का प्लान बना रहे लोगों को भी अब कम इंटरेस्ट रेट पर होम लोन मिल सकेगा। RBI रेपो रेट में कमी कर बैंकों को लोन के इंटरेस्ट रेट में कमी करने का संकेत देता है।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज, जैसे होम लोन, कार लोग अब सस्ते हो जाएंगे।
हालांकि बैंक ईएमआई में कब तक और कितनी कटौती करेंगे यह उन पर निर्भर करता है। भारतीय रिजर्व बैंक की माद्रिक नीति समिति हर दो महीने के अंतराल पर होने वाली अपनी तीन दिवसीय बैठक में रेपो दर को घटाने, बढ़ाने या स्थिर रखने पर फैसला लेती है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति निर्णायक रूप से सकारात्मक दायरे में प्रवेश कर रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति 4% रहने का अनुमान लगाया गया है। फरवरी में महंगाई दर 4.2% रहने का अनुमान लगाया गया है।
बता दें कि फरवरी में अपनी पिछली नीति में आरबीआई ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। यह दर मई 2020 में पिछली दर में कटौती के बाद आई थी। दरों में आखिरी संशोधन फरवरी 2023 में हुआ था। जब नीति दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था।