Rajya Sabha: जम्मू कश्मीर से जुड़े तीन विधेयकों पर चर्चा शुरू, स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण का प्रावधान

डीएन ब्यूरो

राज्यसभा में शुक्रवार को सरकार ने जम्मू कश्मीर से संबंधित तीन विधेयकों को चर्चा एवं पारित कराने के लिए रखा जिनमें केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने तथा वाल्मीकि समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रावधान शामिल हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

ओबीसी आरक्षण का प्रावधान
ओबीसी आरक्षण का प्रावधान


नयी दिल्ली: राज्यसभा में शुक्रवार को सरकार ने जम्मू कश्मीर से संबंधित तीन विधेयकों को चर्चा एवं पारित कराने के लिए रखा जिनमें केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने तथा वाल्मीकि समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रावधान शामिल हैं।

उच्च सदन में जम्मू कश्मीर पंचायती राज विधेयक (संशोधन) विधेयक 2024 को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इसे अन्य पिछड़ा वर्ग के हक में लाया गया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में यह कानून लागू था किंतु जम्मू कश्मीर की पंचायतों एवं नगर निगम के चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं था, उसी के लिए यह विधेयक लाया गया है।

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उन्होंने कहा कि इसमें जम्मू कश्मीर में नगर निगम चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है तथा इन चुनावों को संपन्न कराने का दायित्व राज्य चुनाव आयोग का होता है किंतु जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में यह अधिकार मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास है। मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान के तहत जम्मू कश्मीर में अब यह दायित्व राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा जाएगा।

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राय ने कहा कि यह विधेयक जब कानून बन जाएगा तो पंचायती राज संस्थाओं तथा नगर निगम में ओबीसी को आरक्षण मिलने के साथ साथ महिलाओं को भी 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसके उपरांत समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। उन्होंने इसे चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करने के दौरान अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि जम्मू कश्मीर में वाल्मीकि समुदाय को अनुसूचित जाति सूची में शामिल किए जाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।

उन्होंने कहा कि 1956 में जब जम्मू कश्मीर में सफाई कमियों की हड़ताल हुई और वहां गंदगी का अंबार लग गया था तब पंजाब सरकार से अनुरोध किया गया कि कुछ सफाई कर्मी वहां भेजे जाएं। उन्होंने कहा कि 1957-58 में पंजाब से अमृतसर और गुरदासपुर जिले से 272 वाल्मीकि परिवारों को जम्मू प्रांत में सफाई कर्मी की तरह काम करने के लिए तैनात किया।

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कुमार ने बताया कि जम्मू कश्मीर की ओर से यह प्रस्ताव आया कि उनकी आरक्षण सूची में बाल्मीकि पहले से है और उसके पर्याय के रूप में वाल्मीकि को भी रखा जाए क्योंकि यह केवल वर्तनी का फर्क है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा महापंजीयक ने इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी है।

उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के समता, समानता, सामाजिक न्याय और अधिकारों के ध्येय वाक्य को पूरा करने की दृष्टि से यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर के वाल्मीकि समाज को न्याय दिलाने के लिए जो शुरुआत की जा रही है वह बहुत सार्थक एवं सराहनीय कदम है।

कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वाल्मीकि समाज इस न्याय को पाने की उम्मीद कर रहा था और इस विधेयक से उन्हें समानता का अधिकार मिलेगा।

इसके उपरांत जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया।










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