Pune University: नोटिस बोर्ड क्षतिग्रस्त फिर भी पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, अब हुए सस्पेंड

डीएन ब्यूरो

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा ललित कला केंद्र के बोर्ड पर स्याही फेंके जाने और उसे क्षतिग्रस्त किए जाने के मामले में कथित तौर पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर एक पुलिस उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, अब हुए सस्पेंड
पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, अब हुए सस्पेंड


पुणे: सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा ललित कला केंद्र के बोर्ड पर स्याही फेंके जाने और उसे क्षतिग्रस्त किए जाने के मामले में कथित तौर पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर एक पुलिस उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

पुलिसकर्मी को एक नाटक के मंचन को लेकर शुक्रवार शाम एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और ललित कला केंद्र के छात्रों के बीच हुई झड़प को देखते हुये विश्वविद्यालय परिसर में तैनात किया गया था।

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आरएसएस से जुड़े एबीवीपी की शिकायत पर कथित तौर पर आपत्तिजनक संवादों और दृश्यों वाले ‘रामलीला’ नाटक का मंचन कर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में शनिवार को एक प्रोफेसर और पांच छात्रों को गिरफ्तार किया गया था।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारी ने बताया कि एबीवीपी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित भाजयुमो के कुछ सदस्य शनिवार शाम नारेबाजी करते हुये ललित कला केंद्र परिसर में घुस गये और उन्होंने एक नोटिस बोर्ड को क्षतिग्रस्त कर दिया और उस पर स्याही फेंक दी।

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चतु:श्रृंगी पुलिस थाने में तैनात उप निरीक्षक सचिन गाडेकर को वहां तैनात किया गया था, लेकिन उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाये।

अधिकारी ने कहा, ‘‘ एक जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने न तो मदद के लिए फोन किया और न ही वरिष्ठों को सचेत किया। यह कर्तव्य में लापरवाही है। अधिकारी को इसके लिए निलंबित कर दिया गया है।’’

ललित कला केंद्र का नाटक ‘रामलीला’ में विभिन्न भूमिकाएं निभाने वाले कलाकारों की पर्दे के पीछे होने वाली नोक-झोंक पर आधारित था।

प्रोफेसर और छात्रों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, नाटक में सीता का किरदार निभा रहे एक पुरुष कलाकार को सिगरेट पीते और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया।

प्राथमिकी में कहा गया कि जब एबीवीपी के सदस्यों ने नाटक पर आपत्ति जताई और नाटक के मंच को रोक दिया तो कलाकारों ने उनके साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की।










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