हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदर्शनकारी सरपंचों को चंडीगढ़-पंचकूला सीमा से हटाया गया

डीएन ब्यूरो

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शनिवार को हरियाणा के कई गांवों के प्रदर्शनकारी सरपंचों को चंडीगढ़-पंचकूला सीमा से हटा दिया गया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)


चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शनिवार को हरियाणा के कई गांवों के प्रदर्शनकारी सरपंचों को चंडीगढ़-पंचकूला सीमा से हटा दिया गया।

न्यायालय ने अधिकारियों ने डाइनामाइट न्यूज़ को रात 10 बजे तक सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटाने का निर्देश दिया था।

हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के बैनर तले प्रदर्शनकारी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिए ई-निविदा प्रणाली के खिलाफ एक मार्च से हरियाणा के पंचकूला को चंडीगढ़ से जोड़ने वाली सड़क पर धरना दे रहे हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा हो रही थी।

उच्च न्यायालय के शनिवार को आदेश के बाद विरोध कर रहे सरपंचों को हरियाणा पुलिस ने शाम को हिरासत में ले लिया। उनके द्वारा सड़क के एक तरफ लगाए गए तंबुओं को भी हटा दिया गया।

पंचकूला के दो निवासियों ने सड़क को अवरुद्ध किये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था और कहा था कि इससे न केवल उन्हें असुविधा हो रही है, बल्कि एंबुलेंस, स्कूल बसों और अन्य वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो रही है।

हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान बताया कि नाकेबंदी को हटाने के प्रयास किए जा रहे है और कहा कि सड़क के तरफ से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘संघों या लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन की अनुमति है, लेकिन उन स्थानों पर जो इसके लिए निर्धारित किए गए हैं। यह उन्हें आम जनता को असुविधा में डालने का लाइसेंस नहीं देता है क्योंकि इससे लोगों को परेशानी होती है।

अदालत ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा कानून को अपने हाथों में लेना स्वीकार्य नहीं है।

अदालत ने अधिकारियों को आज रात दस बजे तक सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटाने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि उसके आदेशों का पालन नहीं किया जाता है, तो पंचकूला के उपायुक्त और पंचकूला के पुलिस आयुक्त को अदालत में निर्धारित तिथि पर पेश होना चाहिए और अनुपालन न करने के कारणों को बताना चाहिए।

हरियाणा के हाल के पंचायत चुनाव के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान यह दावा करते हुए ई-निविदा व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं कि यह व्यय करने के उनके अधिकारों पर पाबंदी लगा देगी।










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