Uttar Pradesh: गाजियाबाद में छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोपी प्रधानाचार्य गिरफ्तार, जानिये सरकारी स्कूल का ये पूरा मामला
छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में जिले के एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के प्रधानाध्यापक को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गाजियाबाद: छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में जिले के एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के प्रधानाध्यापक को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
छात्राओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में प्रधानाध्यापक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पत्र में लड़कियों ने स्कूल के प्रधानाध्यापक राजीव पांडे पर उन्हें किसी बहाने से अपने कार्यालय में बुलाने और उनके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है।
लड़कियों ने आरोप लगाया कि पांडे ने इस बारे में किसी से बात करने पर उनका शैक्षिक करियर बर्बाद करने की धमकी भी दी।
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पुलिस उपायुक्त (ग्रामीण) विवेक चंद यादव ने बताया कि छात्राओं के माता-पिता की शिकायत के आधार पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का उपयोग), 507 (गुमनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज की गई थी।
अधिकारियों के मुताबिक 21 अगस्त को लड़कियों ने छेड़छाड़ की घटना के बारे में अपने अभिभावकों को बताया। इसके बाद नाराज अभिभावक गाजियाबाद नगर निगम की स्थानीय महिला पार्षद परमोश यादव के नेतृत्व में स्कूल पहुंचे। पीड़ित लड़कियों के आक्रोशित अभिभावकों ने प्रधानाचार्य पांडे की पिटाई कर दी, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। स्कूल प्रबंधन ने भी छात्राओं के माता पिता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
इस बीच, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा, ‘‘गाजियाबाद की छात्राओं ने अपने प्रधानाध्यापक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को खून से पत्र लिखा। प्रधानाध्यापक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? छात्राओं का ये भी आरोप है कि एक पुलिस अफसर ने उन्हें डांटा, धमकाया और 4 घंटे थाने पर बैठाए रखा।’’
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सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘इस गंभीर विषय की तुरंत जांच हो। बहन-बेटियों की रक्षा सरकार सुनिश्चित करे।’’
डीसीपी से अखिलेश यादव के बयान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि लड़कियों को चार घंटे तक रोक कर रखा गया और एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें डांटा। डीसीपी ने कहा, ‘‘एक भी छात्रा थाने नहीं गई, केवल उनके अभिभावक ही वहां गए। पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई है।’’