गांधी जयंती: टैगोर समेत सौ से अधिक कवियों की गांधी पर लिखी कविताएं फिर हुई प्रकाशित

डीएन ब्यूरो

हम गांधी के चेले/हों सादे या अलबेले/पर एक बात में एक हम सभी/निर्धन को हम न सताते/धनिकों को सिर न झुकाते/पड़ते भय से पाले न कभी। ये पंक्तियां कभी गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन काल मे उनकी महानता को बताते हुए गांधी महाराज कविता में लिखी थी जिसका हिंदी में अनुवाद प्रसिद्ध गांधीवादी कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने किया था।

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: हम गांधी के चेले/हों सादे या अलबेले/पर एक बात में एक हम सभी/निर्धन को हम न सताते/धनिकों को सिर न झुकाते/पड़ते भय से पाले न कभी। ये पंक्तियां कभी गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन काल मे उनकी महानता को बताते हुए गांधी महाराज कविता में लिखी थी जिसका हिंदी में अनुवाद प्रसिद्ध गांधीवादी कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने किया था।

भवानी प्रसाद मिश्र

टैगोर समेत सौ से अधिक कवियों ने गांधी के ऐतिहासिक महत्व पर कविताएँ लिखी है जिन्हें ‘गांधी शतदल’ पुस्तक में संकलित किया गया है। राष्ट्रवादी धारा के प्रख्यात कवि सोहनलाल द्विवेदी द्वारा संकलित इन कविताओं को महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती वर्ष में फिर से प्रकाशित किया गया है।

प्रकाशन विभाग ने तेरह भाषाओं में लिखी इन कविताओं की पुस्तक का फिर से प्रकाशन किया है। इसमे टैगोर के अलावा मैथिली शरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, सियाराम शरण गुप्त, सुमित्रानंद पंत, बालकृष्ण शर्मा नवीन, भगवती चरण वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, शिवमंगल सिंह सुमन, सुभद्रा कुमारी चौहान, गिरिजा कुमार माथुर, भवानी प्रसाद मिश्र आदि की कविताएं है। हिंदी कवियों के अलावा मलयालम के महाकवि वल्लोतोल जी शंकर कुरूप, सुब्रमण्यम भारती, पंजाबी कवि भाई वीर सिंह, अमृता प्रीतम, मराठी कवि कुसुमाग्रज, सिंधी कवि मोती लाल जोतवानी, गुजराती के प्रख्यात कवि उमाशंकर जोशी, उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहा बादी, सागर निजामी, कन्नड़ कवि पुट्टप्पा, कश्मीरी कवि दीनानाथ नादिम, तेलगु कवि श्री श्री आदि शामिल हैं, जो देश के शीर्ष कवि है और उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है।

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साहित्य अकादमी के पृर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के अनुसार गांधी जी पर पहली कविता 1913 में माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखी थी जिसका शीर्षक निः शस्त्र सेनानी था। तब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे। गांधी 9 जनवरी 1915 को भारत आये थे। जब माखनलाल जी गिरफ्तार हुए तो गांधी जी ने उनके बारे में ‘यंग इंडिया’ में लिखा था। गांधी जी चिरगांव भी गए थे जो मैथिली शरण गुप्त का गांव था।

प्रेमचंद ने 1921 में गांधी जी के आह्वान पर सरकारी नौकरी छोड़ दी थी और पंत ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी। गांधी पर सेठ गोविन्ददास ने ‘राम से गांधी’ और लक्ष्मी नारायण मिश्र ने ‘मृत्युंजय’ नामक नाटक भी उस जमाने मे लिखा था। सोहनलाल द्विवेदी ने गांधी जी पर पूरा काव्य ‘सेवाग्राम’ लिखा था। इस तरह गांधी का भारतीय साहित्य पर जितना प्रभाव पड़ा उतना किसी व्यक्ति का आज तक नही पड़ा। (वार्ता)










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