गांधी जयंती: टैगोर समेत सौ से अधिक कवियों की गांधी पर लिखी कविताएं फिर हुई प्रकाशित
हम गांधी के चेले/हों सादे या अलबेले/पर एक बात में एक हम सभी/निर्धन को हम न सताते/धनिकों को सिर न झुकाते/पड़ते भय से पाले न कभी। ये पंक्तियां कभी गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन काल मे उनकी महानता को बताते हुए गांधी महाराज कविता में लिखी थी जिसका हिंदी में अनुवाद प्रसिद्ध गांधीवादी कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने किया था।