ऑपरेशन कावेरी के तहत लाए गए लोगों ने सुनाई हिंसा ग्रस्त सूडान की ये डरावनी कहानियां, जानिये क्या-क्या कहा

डीएन ब्यूरो

सूडान से ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत मुंबई लाए गए लोगों में से कुछ ने बताया कि अफ्रीकी देश में भारतीय दूतावास ने सीमित कर्मचारी होने के बावजूद वहां फंसे नागरिकों को निकालने के लिए चौबीसों घंटे काम किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सूडान से वतन लौटे लोग
सूडान से वतन लौटे लोग


मुंबई: सूडान से ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत मुंबई लाए गए लोगों में से कुछ ने बताया कि अफ्रीकी देश में भारतीय दूतावास ने सीमित कर्मचारी होने के बावजूद वहां फंसे नागरिकों को निकालने के लिए चौबीसों घंटे काम किया।

बृहस्पतिवार को मुंबई पहुंचे इन यात्रियों ने पिछले सात दिन के अपने खौफनाक अनुभव बयां किए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कारोबारी अब्दुल कादिर (39) ने बताया कि खार्तूम में स्थिति बिगड़ने के बाद भारतीय राजदूत बी एस मुबारक और आठ अधिकारियों के उनके दल ने लगातार काम किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सीमित कर्मचारी होने के बावजूद भारतीय दूतावास ने बिना रुके असीमित काम किया। वे चौबीसों घंटे हमारी निकासी की व्यवस्था करने में जुटे रहे।’’

कादिर ने कहा कि मुबारक खुद खार्तूम में संघर्ष से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र में फंसे हुए थे, लेकिन वह लगातार दूतावास कर्मियों और स्वयंसेवियों के संपर्क में थे।

उन्होंने बताया कि राजदूत ने प्रत्येक क्षेत्र में रह रहे भारतीयों के व्हाइट्सएप समूह बनाए और यह सुनिश्चित किया कि हर व्यक्ति को मदद मिले।

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कादिर के मुताबिक, रक्षा अताशे गुरप्रीत सिंह ने जोखिम लिया और उन्हें सुरक्षित इलाके तक लेकर आए।

सूडान में 2017 से रह रहे कादिर ने कहा कि देश में तनावपूर्ण स्थिति कोई नयी बात नहीं थी, लेकिन इस बार हालात अप्रत्याशित रूप से खराब हो गए। हालांकि, वह उम्मीद कर रहे थे कि रमजान में तनाव में कमी आएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक घंटे के अंदर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। हमें खाने-पीने का सामान खरीदने तक का मौका नहीं नसीब हुआ।’’

कादिर ने कहा, ‘‘हमें भारतीय होने का फायदा मिला। हमें कई जांच चौकियों से शांतिपूर्वक निकलने दिया गया।’’

उन्होंने बताया कि पोर्ट सूडान में भारतीय समुदाय ने अपने हमवतनों को बचाने के लिए न केवल अपने घरों के दरवाजे खोले, बल्कि खुले दिल से उनकी मदद भी की।

एक अन्य यात्री ने कहा कि सूडान में हालात बहुत खराब हैं और भारतीय दूतावास के कर्मियों के काम की जितनी भी तारीफ की जाए, उतनी कम है।

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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अल्लाह से बस यही दुआ की थी कि वहां फंसे हमारे सभी भाई-बहन और दूतावास कर्मी सही-सलामत स्वदेश पहुंच जाएं।’’

कई लोग अब भी अपने परिचितों के सूडान से मुंबई पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं। कल्याण निवासी अनिता पांडे भी इनमें से एक हैं।

उनके पति पिछले एक साल से खार्तूम में काम कर रहे हैं।

पांडे ने कहा, ‘‘मेरे पति के मित्र ने मुझे बताया कि उन्हें बचा लिया गया है और वह सुरक्षित हैं। मुझे नहीं पता कि अभी वह कहां हैं। हम उनके मुंबई आने का इंतजार कर रहे हैं।’’










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