40 लाख की बिजली चोरी का मामला खत्म करने को दस लाख की मांगी रिश्वत, अफसर ने आरोपों को नकारा, क्या ऊर्जा मंत्री करायेंगे जांच?
जिले के बिजली महकमे में क्या लूट का खेल चल रहा है? चालीस लाख के काले खेल का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसे लेकर पक्ष और विपक्ष आपस में भिड़ गये हैं। अब बड़ा सवाल है कि क्या सूबे के ऊर्जा मंत्री समूचे लूट के खेल की जांच करायेंगे? डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: नगर का एक चौंकाने वाला घूसखोरी कांड इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोतवाली के सामने रहने वाले बद्रीनाथ दिवेदी के पुत्र आशुतोष दिवेदी ने रोते-बिलखते डाइनामाइट न्यूज़ को अपनी आपबीती सिलसिलेवार सुनायी और बताया कि वे रेडीमेड कपड़ों की एक दुकान चलाते हैं। इस पर 25 किलोवाट की बिजली का कनेक्शन लिया हुआ है। जब NH-730 के निर्माण के दौरान शहर में तोड़फोड़ हो रही थी, उसी दौरान सड़क निर्माण करने वाली प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों ने अवैध ढ़ंग से ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त करते हुए उनकी बिजली बाधित कर दी। जिससे उनका व्यवसाय बाधित हो गया।
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जब बिजली विभाग से लाइट दोबारा जोड़ने का आग्रह किया तो इसी बहाने विद्युत संयोजन प्रवर्तन दल ने छापा मार आरोप लगाया कि जांच में अवैध कटिया कनेक्शन करके बिजली चलाते हुए पाया गया।
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आशुतोष ने आरोप लगाया कि इसके बाद से उत्पीड़न का खेल शुरु हुआ। विभाग ने नोटिस देकर 39 लाख 99 हजार 532 रुपये की पेनाल्टी मांगी। विद्युत वितरण खंड प्रथम, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, महराजगंज के अधिशासी अभियंता की ओर से जारी इस नोटिस में चेतावनी दी गयी कि पेनाल्टी जमा न करने पर आरसी काट दी जायेगी।
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पीड़ित का कहना है कि मामले को निपटाने के नाम पर बिजली विभाग के एक बाबू ने दस लाख रुपये की रिश्वत मांगी और कहा कि साहब से मिलकर काम निपटवा देंगे। पीड़ित ने बताया कि एक-एक लाख रुपये करके दो बार में कुल दो लाख रुपये उसने इस बाबू को दे दिया लेकिन आज तक कोई रसीद व राहत नहीं मिली।
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बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता का पक्ष
जब रिश्वतखोरी के इस सनसनीखेज मामले पर डाइनामाइट न्यूज़ ने विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता से उनका पक्ष पूछा तो उन्होंने कहा कि रिश्वतखोरी की बात पूरी तरह से गलत है। जब प्रवर्तन दल मौके पर पहुंचा तो इन लोगों ने मीटर काटकर छत पर रखा था और ये बिना बिजली के मीटर के विद्युत का उपभोग कर रहे थे। विजिलेंस ने जांच के बाद रिपोर्ट दी, उसके बाद इसका 40 लाख का राजस्व निर्धारण हुआ। आज तक इस मद में कोई धन जमा नहीं किया गया है।