भारत में अब सभी नेता सिर्फ हिन्दी में भाषण देंगे, राष्ट्रपति ने संसदीय समिति की सिफारिशों को दी मंजूरी

डीएन ब्यूरो

आने वाले समय में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई मंत्री अंग्रेजी में नहीं, हिन्दी में भाषण देते नजर आएंगे, क्योंकि संसदीय समिति इस सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने स्वीकार कर लिया है।

फ़ाइल फ़ोटो
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नई दिल्ली: हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है फिर भी लोग हिंदी से दूर भागते हैं चाहे नेता हो अभिनेता या फिर आम लोग। ऐसे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय समीति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति से सिफारिश की गई थी कि राष्ट्रपति और प्रधानंत्री समेत सभी मंत्री और नेता सिर्फ हिंदी में ही भाषण दें।

राष्ट्रपति के निर्देश को सभी मंत्रालयों, राज्यों और प्रधानमंत्री कार्यालय के पास अमल के लिए भेजा गया है। मुखर्जी ने जिन अन्य सिफारिशों को स्वीकार किया है, उनमें एयर इंडिया के टिकटों पर हिंदी का इस्तेमाल करने, एयर इंडिया के विमानों में आधी से ज्यादा हिंदी की पत्रिकाएं और अखबार देने और केंद्र सरकार के कार्यालयों में अंग्रेजी की तुलना में हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं और किताबों की ज्यादा खरीदारी करने की बात शामिल है। मुखर्जी ने संसदीय समिति की कुछ सिफारिशों को खारिज भी किया है। इनमें पब्लिक शेयरहोल्डिंग वाली कंपनियों में पत्राचार के लिए हिंदी का उपयोग सुनिश्चित करने और प्राइवेट कंपनियों के लिए अपने उत्पादों के नाम और उनसे जुड़ी सूचना हिंदी में देना अनिवार्य करने की सिफारिशें शामिल थीं।

इसके साथ ही सरकारी भागीदारी वाली निजी कंपनियों में बातचीत के लिए हिंदी को अनिवार्य करने तथा निजी कंपनियों के लिए अपने उत्पादों के नाम और संबंधित सूचना को हिंदी में देने की सिफारिश की गई है। आधिकारिक भाषा पर संसद की इस समिति ने 1959 से राष्ट्रपति को अब तक 9 रिपोर्ट्स दी हैं। 2011 में इस समीति ने रिपोर्ट दी थी जिसके अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम थे।










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