

मतदाता सूची से नाम काटने व जोड़ने को लेकर लगाए जा रहे आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची से नाम काटने और जोड़ने को लेकर हाल ही में कई राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने एक अहम कदम उठाने की योजना बनाई है। आयोग अब मतदाता सूची को मोबाइल नंबर और ईमेल से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची से किसी का नाम काटने या जोड़ने पर उसे तत्काल सूचना मिल सके।
वर्तमान में, यदि किसी मतदाता का नाम सूची से हटाया जाता है, तो उसे नोटिस भेजा जाता है। लेकिन अधिकतर मामलों में यह नोटिस संबंधित व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता, क्योंकि पते पर व्यक्ति मौजूद नहीं होता या फिर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) कागजी खानापूर्ति कर बैठते हैं। ऐसे में मतदाता को जरूरी सूचना का समय पर नहीं मिल पाती।
आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, यदि मतदाता सूची में किसी का नाम कटता है या जुड़ता है, तो उसे मोबाइल और ईमेल के माध्यम से तुरंत सूचना भेजी जाएगी। इसके अलावा, संबंधित मतदाता को नाम कटने या जुड़ने का कारण भी बताया जाएगा। चुनाव आयोग इस प्रस्ताव पर 4 और 5 मार्च को नई दिल्ली में होने वाली मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) की बैठक में चर्चा करेगा। बैठक में इस प्रक्रिया को लागू करने का रोडमैप तैयार किया जा सकता है।
आयोग का यह कदम, विशेष रूप से उन मतदाताओं के लिए फायदेमंद होगा, जिनके पास कोई स्थिर पता नहीं है या जो अपने पते पर मौजूद नहीं रहते।
गौरतलब है कि देश में लगभग 99 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से करीब 65 करोड़ मतदाताओं के मोबाइल नंबर और ईमेल पहले से चुनाव आयोग के पास मौजूद हैं। अब आयोग का मुख्य फोकस करीब 34 करोड़ मतदाताओं पर है, जिनके मोबाइल और ईमेल जुटाने की योजना बनाई जा रही है। ताकि अधिक से अधिक मतदाता इस सुविधा से जुड़ सकें।
चुनाव आयोग की इस पहल से इससे मतदाता किसी भी बदलाव के बारे में तुरंत अवगत हो सकेंगे, और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।