पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदम्बरम ने किया ये खुलासा, जानिये क्या कहा

डीएन ब्यूरो

पी. चिदम्बरम ने पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दूसरे कार्यकाल की कमजोरियों पर शनिवार को कुछ स्पष्ट स्वीकारोक्तियां करते हुये कहा कि डा. सिंह का व्यक्तित्व अराजनीतिक था और उन्होंने राजनीति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

चिदम्बरम बोले- मनमोहन सिंह अराजनैतिक थे
चिदम्बरम बोले- मनमोहन सिंह अराजनैतिक थे


 नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ने पूर्व प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दूसरे कार्यकाल की कमजोरियों पर शनिवार को कुछ स्पष्ट स्वीकारोक्तियां करते हुये कहा कि डा. सिंह का व्यक्तित्व अराजनीतिक था और उन्होंने राजनीति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और हम भी “ राजनीतिक बयार के बदलाव को ठीक से नहीं समझ सके थे।

चिदम्बरम ने एक निजी टीवी चैनल द्वारा राजधानी में आयोजित कार्यक्रम के एक सत्र में बातचीत यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि संप्रग दो में कुछ शिक्षत और उर्जावान युवा प्रतिभाओं को शामिल करने की जरुरत थी जो गठबंधन को नयी गति दे सकते थे लेकिन उसमे चूक हुयी।

चिदम्बरम ने बातचीत में यह भी कहा कि भारत में बहुसख्ंयक हिन्दुओं की जिम्मेदारी है कि वे अल्पसंख्यकों की रक्षा करे। श्री चिंदम्बरम ने संप्रग दो की आलोचनाओं के प्रसंग पर कहा “अपनी सरकार के बारे में मेरी समालोचना है कि हमने दूसरी पीढी के नेतृत्व पर घ्यान कम दिया ।

मेरा मानना है कि 2009 में जब मनमोहन सिंह फिर सरकार में आये तो उन्हें ऐसे और अधिक युवा व्यक्तियों को सरकार में लेना चाहिये था जो शिक्षित ,अनुभवी ,उर्जावान और नये विचारों के धनी थे वे सरकार को नयी गति प्रदान कर सकते थे। लेकिन हम यह सोचकर बैठक गये कि चूंकि इस टोली ने देश पिछले पांच साल के दौरान आठ प्रतिशत की ‘आर्थिक वृद्धि ’ दर दी है तो इसे चलने दिया जाये । यह एक बड़ी भूल थी।

उन्होंने कहा कि दूसरी भूल यह हुयी “हम देश में बदलती राजनीतिक बयार को नहीं समझ सके और उस राजनीतिक बदलाव को संभालने का कोई प्रबंध नहीं था।” संप्रग सरकार में गृह और वित्त जैस महत्वपूर्ण विभागों को संभालने वाले  चिदम्बरम ने कहा “डा़. मन मोहन सिंह का व्यक्तित्व अराजनैतिक था उन्होंने राजनीति में ज्यादा समय और शक्ति नहीं लगाया और यह काम पार्टी पर छोड़ दिया। हम राजनीतिक बयार में बदलावों को सहीं से समझ नहीं सके थे।

उन्होंने यह भी कहा कि देश के ज्यादातर लोग सरकार में बदलाव चाहते थे और सत्तारुढ दल के खिलाफ कुछ नाराजगी भी हमारे विपरीत गयी।

उन्होंने यह भी कहा मुझे लगता है कि हिन्दूओं की सोच यह नहीं थी कि हिन्दू आबादी के साथ बुरा किया गया।उन्होंने कहा कि जब आप बहुसंख्यक की बात करते हो तो आप का मतलब बहुसंख्यक हिन्दू आबादी से होता है मै हिन्दू हूं इसी तरह 80 प्रतिशत भारतीय हिन्दू है।

उन्होनें कहा कि हिन्दू पार्टी को लगा होगा कि हम अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति कुछ ज्यादा झुकाव रखते है लेकिन महात्मा गांधी ने कहा था कि अल्पसंख्यकों की रक्षा करना बहुसख्यंकों का कृतव्य है।

उन्होंन कहा कि उदाहरण के लिए ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीय और हिन्दू अल्पसंख्यक है यदि अमेरिका और ब्रिटेन में कोई हिन्दू भारतीय आहत होता है तो वहां के बहुसंख्यक इसाईयों का कृतव्य है कि उन हिन्दुओं की रक्षा करे इसी तरह और बंगला देश की सरकार और पाकिस्तान की सरकार का कृतव्य है कि वह अल्पसंख्यक हिन्दुओें की रक्षा करे।

उसी के अनुसार भारत के बहसुख्यंक समुदाय का कृतव्य बनता है कि वह मुसलमानों ,इसाईयों जैनियों फारसियों और बाैद्धो और यहूदियाें की रक्षा करे। (वार्ता)










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