घोटाला: सरकारी खातों से 23 करोड़ रुपये के गबन मामले में पुलिस ने की तीसरी गिरफ्तारी, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के लातूर जिले में पुलिस ने सरकारी खातों से कथित रूप से 23 करोड़ रुपये के गबन के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र


औरंगाबाद: महाराष्ट्र के लातूर जिले में पुलिस ने सरकारी खातों से कथित रूप से 23 करोड़ रुपये के गबन के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।

एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इस आरोपी को मिला कर मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है।

उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के वेष में गए पुलिसकर्मियों के एक दल ने पिछले हफ्ते औरंगाबाद में एक अस्पताल से आरोपी को गिरफ्तार किया, जहां वह अपने एक रिश्तेदार से मिलने आया था।

लातूर के तहसीलदार महेश परांडेकर को यह पता चला कि 2015 से 2022 के बीच जाली हस्ताक्षर की मदद से सरकारी खातों से कथित तौर पर 22.87 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। इसके बाद इस साल जनवरी में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।

कलेक्टर कार्यालय में लिपिक मनोज फुलबोयने, उसके भाई अरुण, सुधीर देवकाटे और चंद्रकांत गोगडे के खिलाफ लातूर के एमआईडीसी थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई।

उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी मनोज और चंद्रकांत को जनवरी में हिरासत में ले लिया गया और अरुण को 25 मई को गिरफ्तार किया गया जबकि सुधीर अब भी फरार है।

जांच अधिकारी दिलीप दोलारे ने कहा, ‘‘मनोज ने तहसीलदार के जाली हस्ताक्षर के जरिए और चेक पर आंकड़ों में छेड़छाड़ कर अपने भाई की कंपनी के खाते समेत विभिन्न खातों में 22.87 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए थे। उसने 4.5 करोड़ रुपये नकद भी निकाले थे।’’

अधिकारी के मुताबिक, पुलिस को सूचना मिली थी कि अरुण औरंगाबाद में एक अस्पताल में रिश्तेदार से मिलने के लिए आने वाला है। इसके बाद चिकित्सकों के वेष में पुलिसकर्मियों का दल वहां मौजूद था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब अरुण अस्पताल में था तब एक अधिकारी ने उसका नाम पुकारा। उसने जवाब दिया और फिर चिकित्सकों के वेष में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे पकड़ लिया।’’

अपनी शिकायत में तहसीलदार परांडेकर ने कहा कि सरकारी जल संरक्षण परियोजना ‘जलयुक्त शिवर अभियान’ के लिए कोष वितरित करने का आदेश जारी किया गया था। इसी के मद में जल संरक्षण अधिकारियों को 12,27,297 रुपये और 41,06,610 रुपये की राशि ऑनलाइन आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंटल) माध्यम से वितरित करने के लिए दो डिमांड ड्राफ्ट दिए गए थे।

पुलिस ने कहा कि जब बैंक को संबंधित दस्तावेज दिए गए तो पता चला कि खाते में सिर्फ 96,559 रुपये हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद ऑडिट कर रकम की जांच की गई जिसमें 22.87 करोड़ रुपये के कथित गबन का पता चला।










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