Madras High Court: बच्चों में बढ़ती पोर्नोग्राफी की लत के बारे में मद्रास हाई कोर्ट ने बताई ये बात, पढ़िए पूरी खबर

मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि आजकल के बच्चे अश्लील सामग्रियां देखने की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 13 January 2024, 3:11 PM IST
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चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि आजकल के बच्चे अश्लील सामग्रियां देखने की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और समाज को वैसे बच्चों को दंडित करने के बजाय शिक्षित करने को लेकर “पर्याप्त परिपक्वता” दिखानी चाहिए।

अदालत ने 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही भी निरस्त कर दी, जिस पर अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप था। अदालत ने यह कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ऐसी सामग्री को केवल देखने को अपराध नहीं बनाता है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति एन. वेंकटेश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67-बी के तहत अपराध साबित करने के लिए व्यक्ति को बच्चों के यौन कृत्य या आचरण से संबंधित सामग्री तैयार करने, प्रकाशित अथवा प्रसारित करने में लिप्त होना चाहिए। इस प्रावधान को सावधानीपूर्वक पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री देखना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67-बी के तहत अपराध नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि भले ही आईटी अधिनियम की उक्त धारा को व्यापक रूप से वर्णित किया गया है, लेकिन यह उस मामले को कवर नहीं करता है, जहां किसी व्यक्ति ने अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में केवल बच्चों की अश्लील सामग्रियां डाउनलोड की हैं और उसे केवल देखा है, इससे अधिक कुछ नहीं किया।

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