Odisha Rail Accidents: ओडिशा रेल हादसे में घायलों के लिए फरिश्ते बनकर पहुंचे स्थानीय लोग, इस तरह बचाई कई जिंदगियां

डीएन ब्यूरो

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम हुए भयानक रेल हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग घायलों की मदद करने के लिए तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

ओडिशा ट्रेन हादसे में कई मौतें
ओडिशा ट्रेन हादसे में कई मौतें


बालासोर/हावड़ा: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम हुए भयानक रेल हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग घायलों की मदद करने के लिए तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए।

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने तथा एक मालगाड़ी से टकराने से जुड़े रेल हादसे में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 261 हो गई।

रणजीत गिरि, बिप्रदा बाग, आशा बेहरा और अशोक बेरा घायलों को बचाने के लिए सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में से हैं। ये सभी बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन इलाके के निवासी हैं, जहां हादसा हुआ।

गिरि ने एक बांग्ला समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैं शाम करीब सात बजे अपने मित्रों के साथ पास ही चाय की एक दुकान पर था। मैंने अचानक जोरदार आवाज और उसके बाद लोगों के चीखने की आवाज सुनी। हम घटनास्थल की ओर दौड़े और हमने जो देखा, उसे देखकर हमारे रौंगटे खड़े हो गए। समय बर्बाद किए बिना हम घायलों को बचाने में जुट गए। हमने पुलिस एवं रेलवे अधिकारियों को भी हादसे की जानकारी दी।’’

यह भी पढ़ें | Train Accident: ओडिशा में ट्रेनों की भीषण टक्कर में मृतकोंं संख्या 280 के पार, 900 से अधिक घायल, रेसक्यू जारी, देखिये VIDEO

बाग ने एक अन्य चैनल से कहा, ‘‘हमने कम से कम 50 घायलों को बचाया और यात्रियों को अपने वाहनों से स्थानीय अस्पतालों में पहुंचाया। हादसे में जीवित बचे कुछ लोग अपने प्रियजनों को ढूंढ़ रहे थे, लेकिन बहुत अंधेरा होने के कारण हम उनकी मदद नहीं कर सके।’’

अशोक बेरा (60) रक्तदान करने के लिए अस्पताल गए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं रक्तदान करने पहुंचा, लेकिन मेरी आयु के कारण मुझे इसकी अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद मैंने अपने बेटों और संबंधियों से अस्पताल पहुंचकर रक्तदान करने को कहा।’’

बेरा को हादसे में जीवित बचे यात्रियों से बात करते और उनकी फोन पर उनके रिश्तेदारों से बात करने में मदद करते देखा गया।

यह भी पढ़ें | Odisha Train Accident: छुट्टी पर जा रहा NDRF का ये जवान बना मसीहा, बालासोर रेल दुर्घटना का सबसे पहले भेजा अलर्ट, पढ़िये ये खास रिपोर्ट

उन्होंने एक हिंदी समाचार चैनल से कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर यात्रियों का मोबाइल खो गया है और वे अपने परिवार को फोन करके अपनी हालत के बारे में नहीं बता सके। मैंने इसमें उनकी हरसंभव मदद की।’’

आशा बेहरा को दो बच्चों की देखभाल करते देखा गया, जिनके माता-पिता का अभी पता नहीं चल पाया है।

उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैंने इस बच्चे को दुर्घटनास्थल से बचाया और उसे अस्पताल लेकर आई। यहां मैं एक लड़की से मिली, जो अपने माता-पिता को नहीं ढूंढ़ पा रही। हम उनके संबंधियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।’’










संबंधित समाचार