CJI NV Ramana: जानिये देश के नये मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना के बारे में कुछ खास बातें

डीएन ब्यूरो

न्यायाधीश एनवी रमना ने भारत के नये मुख्य न्यायाधीश के रूप में शनिवार को शपथ ग्रहण कर ली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये नये मुख्य न्यायाधीश के बारे में



नई दिल्ली: न्यायाधीश एन.वी. रमना ने भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में आज शपथ ग्रहण कर लही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में अब से कुछ देर पहले उन्हें शपथ दिलाई है। निवर्तमान सीजेआई एसए बोबडे कल रिटायर हुए थे और आज न्यायमूर्ति एनवी रमना अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के तौर पर शपथ ली। 

डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये नये मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना के बारे में कुछ खास बातें 

1) न्यायमूर्ति एनवी रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के पोन्नवरम गांव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ।

2) किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति एनवी रमना ने विज्ञान और वकालत में स्नातक किया है।

3) उन्होंने ने 10 फरवरी 1983 में वकालत शुरू कर दी थी और इसके बाद कई स्थानों और अदालतों पर उनकी नियुक्ति हुई।

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4) 27 जून 2000 को जस्टिस रमना आंध प्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए। 

5) वे 13 मार्च 2013 से लेकर 20 मई तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे।

6) उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, आंध्र प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल के अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की है। 

7) उन्होंने संवैधानिक, आपराधिक और इंटर-स्टेट नदी जल बंटवारे के कानूनों का खास जानकार माना जाता है।

8) करीब 45 साल का लंबा अनुभव रखने वाले एनवी रमना सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसले सुनाने वाली संवैधानिक बेंच का हिस्सा रहे हैं।

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9)  न्यायमूर्ति रमन्ना का 02 सितंबर 2013 को प्रमोशन हुआ और इसके बाद वो दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए।

11) 63 वर्षीय न्यायमूर्ति एनवी रमना का पूरा नाम नुथालपति वेंकेट रमना है।

12) जस्टिस रमना 26 अगस्त, 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे।

जस्टिस एनवी रमना ने शीर्ष अदालत में कई हाई प्रोफाइल मामलों पर सुनवाई कर चुके हैं। उनकी अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल मार्च में अनुच्छेद 370 के खिलाफ कई याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ में भेजने से इनकार कर दिया था।
 










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