

उत्तराखंड के रामनगर में वन भूमि पर अवैध कब्जे और जनसंख्या असंतुलन की जांच शुरू हो गई है, जो एसआईटी की टीम कर रही है। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट
रामनगर: कॉर्बेट सिटी रामनगर में वन विभाग की भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर बसाई गई अवैध बस्ती रहमत नगर अब शासन की जांच के दायरे में आ गई है। यहां कोसी नदी किनारे अवैध कब्जे कर सस्ते स्टांप पेपरों पर जमीन बेचे जाने की खबरों के बाद शासन ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यह बस्ती पहले खनन मजदूरों की झोपड़ी बस्ती थी, जो अब पक्के निर्माण में बदल चुकी है। बताया गया कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त भू-माफिया ने सौ-सौ रुपए के स्टांप पेपर पर सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी थी। आरोप है कि इस अवैध गतिविधि में मोटी कमाई के साथ वोट बैंक की राजनीति भी हो रही है। अब तक अरबों रुपये की वन भूमि का अवैध तरीके से सौदा किया जा चुका है।
वन विभाग के डीएफओ प्रकाश आर्य ने बताया कि रहमत नगर में 1002 लोगों द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। अतिक्रमण हटाने के लिए दो बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि ड्रोन और सैटेलाइट के माध्यम से क्षेत्र का सर्वेक्षण भी पूरा कर लिया गया है और पुलिस प्रशासन के सहयोग से जल्द ही अतिक्रमण हटाया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार के वन भूमि अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते ने स्पष्ट किया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अवैध कब्जेदार स्वयं नहीं हटे तो प्रशासन बलपूर्वक जमीन खाली कराएगा। साथ ही, अवैध खरीद-फरोख्त में लिप्त लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इधर, आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने जानकारी दी कि एसआईटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है और रिपोर्ट तैयार होने के बाद शासन को सौंपी जाएगी। जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त करने वालों पर पहले से एफआईआर दर्ज है और पुलिस उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।