विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है

डीएन ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने कई परियोजनाओं पर नजर रखकर विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2014 के बाद से, उससे पहले के 10 वर्ष की तुलना में दोगुने उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी


नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने कई परियोजनाओं पर नजर रखकर विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2014 के बाद से, उससे पहले के 10 वर्ष की तुलना में दोगुने उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अब आठ अरब डॉलर की है और इसमें 45,000 लोग काम करते हैं।

पुरी ने भरोसा जताया कि यह क्षेत्र अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा और इसकी वैश्विक हिस्सेदारी मौजूदा दो प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगी।

पुरी ने शहरी विकास, बुनियादी ढांचा कार्य और मनरेगा से जुड़ी कई परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दिया और कहा कि इससे विकास को बढ़ावा मिला है।

उन्होंने कहा, ‘‘1990 के दशक की शुरुआत में विदेशी सरकारों से भारत की अंतरिक्ष पहुंच को मंजूरी लेनी पड़ती थी लेकिन आज देश प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी, दृढ़ और निर्णायक नेतृत्व में ‘विश्वसनीय और सम्मानित वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शक्ति’ के रूप में उभरा है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 से अब तक 53 अंतरिक्ष यान मिशन, 52 प्रक्षेपण यान मिशन और छह प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के साथ भारत नयी ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है और अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने से इस क्षेत्र में 195 स्टार्टअप शुरू हुए हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय उपग्रह विनिर्माण क्षेत्र 3.2 अरब डॉलर का हो गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अब ‘एंड-टू-एंड’ तकनीक के साथ अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले देशों में पांचवें स्थान पर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने मिशन में सफल होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि रूस के असफल चंद्र मिशन की लागत 16,000 करोड़ रुपये से अधिक थी जबकि भारत के सफल चंद्रयान मिशन की लागत केवल 600 करोड़ रुपये थी।

पुरी ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी को देश के सामाजिक-आर्थिक लाभ के लिए विकसित किया जा रहा है क्योंकि सरकार समाज के सबसे कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं में इसका व्यापक रूप से उपयोग कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन, पीएम-स्वामित्व योजना, पीएम गति शक्ति, पीएमएवाई, अमृत, स्मार्ट सिटी मिशन, पीएम फसल बीमा योजना, पीएमजीएसवाई, कृषि और जल संसाधन मानचित्रण, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो रहा है।’’










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